नहीं रहे एसीबी के हीरो !
(श्रीपाल शक्तावत)"जिन्दगी तो हजार साल की भी कम होती है । मैं जल्द निकल भी गया तो क्या ? एक सुकून के साथ तो जाऊंगा कि मैं बिका नहीं, डिगा नहीं । मैंने मेरा काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया । बच गया तो और काम करेंगे ।" ये शब्द मेरे कानों!-->…