Browsing Tag

CORONA

सतत विकास लक्ष्य से कितनी दूर है घुमंतू, अर्ध घुमंतू और विमुक्त जातियाँ ? 

( भंवर मेघवंशी )संयुक्त राष्ट्र संघ सतत विकास लक्ष्य ( एसडीजी) निर्धारित करता है, वर्तमान में ‘कोई पीछे ना रहे ‘के नारे के साथ लक्ष्य निर्धारित है, जिन्हें सन 2030 तक हासिल करना है.सतत विकास के ये लक्ष्य तभी प्राप्त किए जा सकते हैं जब समाज

सारे विश्व को अमेरिका की निंदा करनी चाहिए !

(भोपाल ,अप्रैल 2020 ) राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक एल. एस. हरदेनिया एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति समर्पित लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डा राम पुनियानी ने कहा है कि इस समय सारे विश्व को अमेरिका की निंदा करनी चाहिए। यहां जारी एक

क्या मास्क लगाना इतना जरूरी है ?

(स्कंद शुक्ला)"मास्क पहनना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि परहित से बड़ा कोई 'पुण्य' नहीं और परपीड़ा से बड़ा 'पाप' !" हमारी बातचीत इसपर ख़त्म हुई थी। लॉकडाउन के दौरान भी वह आवश्यक काम से बाहर निकलते हुए जब-तब मास्क लगाना नज़रअंदाज़ कर रहा था।

शोषित समाज पर अत्याचार लगातार जारी हैं, ऐसा क्यों ?

(बी एल बौद्ध) कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन चल रहा है जिसके कारण साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ रुका हुआ है लेकिन ऐसे में भी शोषित समाज पर जुल्म और अत्याचार लगातार जारी हैं, ऐसा क्यों ?ताजा घटना राजस्थान के जोधपुर जिले की है वहां

कोरोनाः ईश्वर, धर्म और विज्ञान

(Dr.Ram Puniyani) इन दिनों पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है. इससे लड़ने और इसे परास्त करने के लिए विश्वव्यापी मुहिम चल रही है. मानवता एक लंबे समय के बाद इस तरह के खतरे का सामना कर रही है. किसी ज्योतिषी ने यह भविष्यवाणी नहीं की

ज़मात की हरकत और मुस्लिम विरोधी वातावरण !

(एल. एस. हरदेनिया) मुझे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर से मुलाकात करने में अत्यधिक बौद्धिक आनंद आता था। उनका जीवन संघर्ष से भरपूर था। उनके संस्मरण काफी दिलचस्प होते थे। एक दिन इसी तरह की मुलाकात के दौरान मैंने उनसे

कोविड -19 महामारी के संदर्भ में भारत के मुसलमानों से अपील !

(Jaipur,5 April 2020) कोविड -19 का वैश्विक प्रकोप देश और मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम इसे नियंत्रण में रखने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे हैं।कुछ दिनो से समाज में एक संदेश जा रहा है कि भारत में कुछ मुसलमान सामाजिक दूरी और महामारी के

क्या आरएनए-वैक्सीन से लड़ सकेंगे कोविड-19 से ?

(डॉ.स्कन्द शुक्ला) आधुनिक चिकित्सा-विज्ञान ने किस शोध द्वारा सबसे अधिक जानें बचायी हैं ? निश्चय ही इसका उत्तर 'टीकाकरण' है। हालांकि प्राचीन चिकित्सा-ग्रन्थों में भी टीकाकरण के उदाहरण वर्णित हैं , लेकिन जिस व्यापक पैमाने पर मॉडर्न

जब राजनेता अपनी सीमाएँ बन्द कर रहे हैं , वैज्ञानिक अपनी सीमाएँ खोल रहे हैं !

(स्कन्द शुक्ला) राजनीतिक समता और वैज्ञानिक समता में बहुत अन्तर है। यह सच है कि राजनीति में समता के संस्कार विज्ञान में हुई प्रगति का परिणाम हैं : सोलहवीं-सत्रहवीं अठारहवीं सदी में यदि एक-के-बाद-एक वैज्ञानिक खोजें न हुई होतीं , तब न

कोरोना से डरो ना..श्रमिकों का योगदान भूलो ना!

कोरोना का वायरस हजारों की मौत ला सकता है, यह प्रचारित होते ही बात समझ में आ गयी कि भारत में भी कितने लोग मौत से डरते है.... उनकी जिंदा रहने की जीजीविषा को सलाम! लेकिन जैसा कि छोटी, sponsored विज्ञापन डाक्यूमेंट्रीज में आजकल कोरोना का