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bhanwar meghwanshi

कोई हिंदुत्व की बात करे तो आप बंधुत्व की बात कीजिये

- भंवर मेघवंशी  ( 19-20 नवंबर 2022 को हैदराबाद में आयोजित हुई भारत बचाओ कान्फ्रेंस में रखे गये विचार का सार संक्षेप ) मंच पर मौजूद महानुभावों और सभागार में उपस्थित साथियों ,सबसे पहले मैं तेलगु भाषा में नहीं बोल पाने के लिए क्षमा…

‘कितनी कठपुतलियां’ लिखकर स्व. प्रभाष जोशी के स्वप्न को पूरा करने की कोशिश की- मेघवंशी

देसूरी ( प्रमोद पाल सिंह ) चर्चित पुस्तक 'कितनी कठपुतलियां' के लेखक एवं बहुजन चिंतक भंवर मेघवंशी ने देसूरी पहुंचने पर कहा कि किताबों के काले शब्द क्रांति,व्यवस्था एवं परिवर्तन के वो हथियार हैं जो कभी असफल नही होते। किताबों ने हमें अपने

रमाबाई को डाॅ. आंबेडकर का दिल छू लेने वाला ऐतिहासिक पत्र !

(डॉ. अम्बेडकर द्वारा अपनी पत्नी रमा बाई के लिए लंदन से लिखा गया पत्र ) लंदन, 30 दिसंबर 1930रामू ! तू कैसी है, यशवंत कैसा है, क्या वह मुझे याद करता है? उसका बहुत ध्यान रखना रमा. हमारे चार बच्चे हमें छोड़ गए. अब यशवंत ही तेरे मातृत्व का

मैं 14 अप्रैल को भी बल्ब ही जलाऊंगा !

(Bhanwar Meghwanshi) दीये जलाने का अभिप्राय अंधेरा भगाना है,जब उजाले के लिए और कुछ न था,तो लोग रोशनी के लिए दीपक जलाते थे,फिर लालटेन जलाने लगे,उसके बाद बिजली आ गई, बल्ब का आविष्कार हो गया,बड़ी बड़ी लाइट्स जलने लगी ,जिससे पूरे मोहल्ले

कोरोना से बचने के लिए एक अपील !

(भंवर मेघवंशी ) साथियों, अपने अपने घर ही ठहरो,मत आओ मिलने,मत बुलाओ कुछ दिन किसी को,मुझसे भी मत मिलिये। हम लोग 6 मार्च से अपना जयपुर ऑफिस बन्द करके गांव लौट आये हैं,अब सारा काम घर से ही कर रहे हैं। कहीं भी आना जाना, मिलना जुलना

रोहित वेमुला की तरह भंवर मेघवंशी भी सांस्थानिक हत्या का शिकार होते होते बचे !

( हिमांशु पण्ड्या )"मेरी कहानियां, मेरे परिवार की कहानियां – वे भारत में कहानियां थी ही नहीं. वो तो ज़िंदगी थी.जब नए मुल्क में मेरे नए दोस्त बने, तब ही यह हुआ कि मेरे परिवार के साथ जो हुआ, जो हमने किया, वो कहानियां बनीं. कहानियां जो लिखी

‘हिन्दुत्व राजनीती एवं बहुजन’ विषय पर बौद्धिक चर्चा एवं पुस्तक लोकार्पण !

राजस्थान में हिन्दुत्व राजनीति के बढते खतरों के मध्य इस विषय पर एक परिचर्चा एवं आर.एस.एस. के पूर्व स्वयंसेवक द्वारा लिखित पुस्तक का लोकार्पण पी.यू.सी.एल. राजस्थान द्वारा 18 जनवरी 2020 को प्रौढ शिक्षा समिति,झालाना

कारसेवक की किताब पर संघ ख़ामोश क्यों है ?

(लखन सालवी )दलित चिंतक भंवर मेघवंशी की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘‘मैं एक कारसेवक था’’ को 1 दिसम्बर की रात को पढ़ना आरम्भ किया और 2 दिसम्बर को सुबह 11 बजे इसका आखिरी पन्ना पढ़ा।यह जबरस्त पुस्तक है, जिसमें संघ के एक स्वयंसेवक की कहानी है। वो

आरएसएस की असलियत को उजागर करती एक किताब-“मैं एक कारसेवक था”

( नीरज बुनकर )इस किताब को मैंने ज्यादातर ऑफिस  में  ही बैठकर पढ़ा। अधिकांश लोग  जो  मेरे सहकर्मी है, वो उन समुदायों   से  ताल्लुक  रखते है ,जिनकी विचारधारा दक्षिणपंथ के नजदीक है।जब  मैं किताब  आर्डर  कर  रहा  था  तब  भी मुझे  लोगो  ने

और अंततः जनता हार जायेगी !

मेरा विश्वास है कि हर बार की तरह इस बार भी दल और नेता जीत जायेंगे ..और जनता हर बार की भांति  फिर से हार जायेगी । मैं उस हारी हुई जनता की आवाज़ हूँ,मैं उसके साथ हूँ ,मेरा सरोकार उससे है,इसलिए मैंने यह भीम संकल्प लिया कि न चुनाव लड़ूंगा,न…