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नज़रिया
स्वतंत्र भारतः सपने जो पूरे न हो सके
( राम पुनियानी )
औपनिवेशिक शासन से भारत की मुक्ति के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वाधीनता आंदोलन के नेताओं के सपनों और आकांक्षाओं का अत्यंत सारगर्भित वर्णन अपने प्रसिद्ध भाषण 'ए ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी' में किया था.!-->!-->!-->…
डॉ रणदीप गुलेरिया- भारत के सबसे ख़ाली डॉक्टर का नाम जो दिन भर टीवी पर रहते हैं !
( रवीश कुमार )
इस वक़्त भारत में दो तरह के डॉक्टर हैं। एक तरफ़ वो सैंकड़ों डॉक्टर हैं जो जान लगा कर मरीज़ों की जान बचा रहे हैं। दूसरी तरफ़ अकेले एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया हैं, जो टीवी पर आने के लिए दिन भर जान लगाए रहते हैं।!-->!-->!-->…
पे बैक टू सोसाइटी: सर्व फॉर योर सोसाइटी
( पवन बौद्ध )
वर्तमान परिपेक्ष में रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य हर किसी व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकताओं में से एक है। आजादी से पहले आजादी के पश्चात देश में कई ऐसी श्रेणीगत असमानता, राजनीतिक स्तर का सामाजिक रवैया, वैचारिक विचारों!-->!-->!-->…
भारत में इस बार यह ‘वैक्सीन संक्रांति’ है !
(डॉ. महेश अग्रवाल)
वर्ष 2021 की यह मकर संक्रांति सचमुच सबसे अलग है। अलग इस मायने में कि अमूमन हर साल संक्रांति पर तिल-गुड़, पतंगबाजी, सूर्योपासना और शिव मंदिरों में खिचड़ी अर्पण करने की गहमागहमी होती है, लेकिन इस बार सिर्फ एक ही चीज की!-->!-->!-->…
होना चाहिये था यह, ला दिये नये कृषि कानून !
(श्याम सुन्दर बैरवा)आज देशव्यापी किसान आंदोलन को चलते डेढ़ महीना होने जा रहा है, लेकिन मजाल कि तथाकथित ’किसान हितैषी सरकार’ ने कोई कड़ा फैसला लिया हो। जुमले पर जुमले हैं!! किसान कड़कड़ाती ठण्ड में सब कुछ छोड़कर धरने पर बैठने को मजबूर हैं!-->…
सावित्रीबाई फुले:भारत की पहली अध्यापिका !
(एच.एल.दुसाध)आज देश की पहली महिला अध्यापिका व नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेत्री सावित्रीबाई फुले का जन्म दिन है.इसे लेकर विगत एक सप्ताह से सोशल मीडिया में उस बहुजन समाज के जागरूक लोगों के मध्य भारी उन्माद है जो उन्हें अब राष्ट्रमाता के!-->…
“दलित साहित्य” को “दलित साहित्य” ही कहिए,जनाब !
( डॉ. काली चरण स्नेही ) विमर्शों की दुनिया में "दलित विमर्श"अर्थात् "दलित साहित्य" का लगभग पिछले चार- पाँच-दशकों से परचम लहरा रहा है।बोधिसत्व बाबासाहब की वैचारिकी पर आधारित दलित समाज की अन्तर्वेदना-आक्रोश तथा उत्पीड़न,इच्छा-आकांक्षा को इस!-->…
मेरा धर्म मुझे चुनने दो !
(डॉ. राम पुनियानी)
(स्वतंत्रता पर चोट हैं धर्म स्वातंत्र्य कानून)
भारत का संविधान हम सब को अपने धर्म में आस्था रखने, उसका आचरण करने और उसका प्रचार करने का हक़ देता है. यदि कोई नागरिक किसी भी धर्म का पालन!-->!-->!-->!-->!-->…
बड़ा दिन, बड़ा दिल, बड़े लोग !
(डाॅ. महेश अग्रवाल)आज 25 दिसंबर को बड़ा दिन है। बड़ा दिन है तो प्रभु येशु का जन्मदिन, लेकिन हमारे यहां ये बड़ा दिन बड़े लोगों का दिन होता है, इस दिन बड़े लोग, बड़े फैसले करते हैं, बड़े दिल से करते हैं। लेकिन हमारे यहां बड़ा दिन किसी बड़े!-->…
कारसेवक और राम जन्मभूमि आंदोलन !
( पवन बौद्ध )देश में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गुंबद को हटाया गया और आस्था के नाम पर हिंदू विश्व परिषद, बजरंग दल,विहिप,हिंदू महासभा,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के कई युवाओं को जोशीले भाषणों, सभाओं के मध्य से अयोध्या जाने का!-->…