( भंवर मेघवंशी ). राजसमंद जिले की कुआँथल चौकी पर कांस्टेबल है भजे राम सालवी, जो मूलतः भीलवाड़ा जिले की आसिंद तहसील के झालरा गाँव के निवासी है.राजस्थान पुलिस में विगत 27 साल से कार्यरत है.
उदयपुर में कन्हैया लाल साहू के मर्डर के बाद राजस्थान में सांप्रदायिक तनाव फैल गया, हत्यारे भीम के पास पकड़े गये,उनको भीम थाने में लाया गया, उन्मादी भीड़ ने थाना घेर लिया और हत्यारों को सुपुर्द करने की माँग करने लगे.इस विकट स्थिति में पुलिस ने काफ़ी धैर्यपूर्वक हालात को क़ाबू किया.लेकिन दूसरे दिन फिर माहौल ख़राब हो गया, धर्मोन्मादी भीड़ फिर जुट गई, एक धर्मस्थल की तरफ़ बढ़ने लगी, पुलिस ने लाठियाँ भांजी और सांप्रदायिक तत्वों ने तलवारें, एक पुलिसकर्मी सन्दीप चौधरी तलवार के वार से घायल हो गये.
घायल चौधरी को तुरंत अजमेर अस्पताल भर्ती करवाया गया, उनसे मिलने एसपी चूनाराम जाट पहुँचे,मुख्यमंत्री स्वयं भी घायल पुलिसकर्मी से मिलने पहुँचे.सन्दीप चौधरी को गैलेंट्री प्रमोशन और वीआईपी ट्रीटमेंट तथा 10 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया गया. सरकार की इस तत्परता और संवेदनशीलता की सर्वत्र सराहना हुई, होनी भी चाहिये.
पुलिस पर इस हमले के बाद अपराधियों और उपद्रवियों पर पुलिस का सख़्त रवैया चला और धड़ाधड़ गिरफ़्तारियाँ होने लगी, कार्यवाही से घबराए लोगों ने बाज़ार बंद करवा दिए, बाज़ार बंदी के पंचवे दिन पुलिस पर सांप्रदायिक तत्वों ने दूसरा हमला कर दिया.
इस बार निशाने पर भजे राम सालवी थे,निकटवर्ती गोमा का बाड़िया निवासी गजेंद्र सिंह रावत हाथ में धारदार हथियार ले कर पहुँचा और भजेराम पर पीछे से जानलेवा हमला कर दिया.
अचानक हुए इस हमले के बावजूद भजे राम सालवी ने हमलावर का जमकर मुक़ाबला किया,एक हाथ की दो अंगुलियाँ कट और दूसरा हाथ लगभग पूरी तरह कट जाने तथा नीचे गिर जाने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी,वे पूरी बहादुरी से लड़ते रहे, तब तक उनका सहयोग करने दूसरा पुलिसकर्मी भी पहुँच गया,उसने भी मुक़ाबला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.तब तक और भी पुलिसकर्मी सहायता के लिए आ पहुँचे,जिससे चलते हमलावर हथियार ले कर भागने लगा, जिसे जल्द ही दबोच लिया गया.
बदनोर चौराहे के घरों के दरवाज़े और खिड़कियाँ खोलकर लोग इस हिंसा को देखते रहे, कोई भी आगे आने का साहस नहीं कर पाया, घायल भजे राम सालवी ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी, खून निरंतर बह रहा था और उनकी चेतना क्षीण हो रही थी, बावजूद इसके उन्होंने लोगों से सहायता मांगी और अपने कटे हाथ को कपड़े से बँधवाया, साथी पुलिसकर्मियों ने उनको भीम हॉस्पिटल पहुँचाया, जहां से ब्यावर रेफ़र किया गया और वहाँ से अजमेर ले ज़ाया गया, वहाँ पर समय पर उपचार मिलने पर भजेराम सालवी और उनका हाथ सलामत है और अब वे अपने घर आराम कर रहे हैं.
भजे राम सालवी अनुसूचित जाति से ताल्लुक़ रखते हैं, उनसे अस्पताल में मिलने न एसपी साहब पहुँचे और न ही कोई राजनेता और न ही इस बहादुर लड़ाका को गैलेंट्री प्रमोशन देने की घोषणा की गई, यहाँ तक कि मुआवज़ा भी 7.50 लाख ही दिया गया.सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि जब उनको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया तो ऐंबुलेंस तक मुहैया नहीं करवाई गई,उनके परिजनों को अपने खर्च पर घर तक लाना पड़ा.
जिस तरह सन्दीप चौधरी क़ानून और व्यवस्था संभाल रहे थे, उसी तरह भजेराम सालवी भी संभाल रहे थे,उन पर हमला करने वाले का मक़सद भी पुलिसकर्मी की हत्या करके उन्माद फैलाना ही था,फिर गैलेंट्री प्रमोशन और मुआवज़े में भेदभाव क्यों ? क्या सिर्फ़ इसलिये कि भजेराम सालवी दलित समुदाय से आते हैं? दलित की हत्या हो जाये या हत्या के इरादे से जानलेवा हमला हो जाये, हमारे शासन और प्रशासन पर उसका कोई असर क्यों नहीं पड़ता है, हमारे राजनेताओ की संवेदना दलितों के साथ क्यों नहीं दिखती है, प्रशासन हमारे अधिकारी, कर्मचारी और आम लोगों के प्रति इतना उदासीन क्यों है ?
हम सब कुछ देख रहे हैं, समझ रहे हैं,यह जातिगत मानसिकता और भेदभाव याद रखा जायेगा, हम इन कड़वी यादों को हथियार बना लेंगे, हम चुप नहीं बैठेंगे, हर अन्याय को उजागर करेंगे और चीख़ेंगे, हमारी आह और चीख़ें एक दिन सब कुछ तहस नहस कर देगी, समय रहते चेत जाइये, ताकि सब कुछ ठीक रहे