45 दिन की दूसरी जवाबदेही यात्रा सभा और रैली से प्रारम्भ
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय व पूर्व आईएएस अधिकारी राजेन्द्र भाणावत ने झंडी दिखाई
लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है – अरुणा रॉय
चुनाव में किए वादे को निभाए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं तो राजनेताओं से जनता का विश्वास उठ जायेगा – निखिल डे
लोकतंत्र में जनता की आवाज को नहीं दबाया जा सकता है, सरकार लोकतांत्रिक धरने प्रदर्शनों के लिए स्थान तय करे – कविता श्रीवास्तव
“राजस्थान की जनता मांगे जवाबदेही कानून को, राशन का सवाल है-जवाब दो, जवाब दो, लोकतंत्र का सवाल है- जवाब दो, जवाब दो, पुलिस अत्याचार का सवाल है-जवाब दो, जवाब दो” आदि गीत और नारों से .खूब जोश और ऊर्जा के साथ आज जयपुर से 45 दिन से जवाबदेही यात्रा की शुरुआत हुई, 250 लोगों के साथ 20 दिसम्बर 2021 सुबह गीत, नाटक, कठपुतली के जरिये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनकी वादा खिलाफी को लेकर खूब गीत गाए गए , 2018 में काँग्रेस के घोषणा पत्र में यह वादा किया था जवाबदेही कानून लाएंगे .काँग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्य मंत्री ने राम लुभाया (पूर्व आईएएस ) के नेतृत्व में समिति बनाई, जिसने कानूनी मसौदा तय समयावधि में प्रस्तुत किया ,लेकिन आज दिन तक वह कानून को विधान सभा के पटल में पेश नही किया. सभी ने एक आवाज में कहा कि इस बार के विधान सभा सत्र में यह कानून पारित हो और इसी उदेश्य से यह यात्रा जयपुर के शहीद स्मारक से आज शुरू हुई और रैली निकाल कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया जो अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने प्राप्त किया
33 जिलों में जा रही या यात्रा का संयोजन सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान ( एस आर अभियान) कर रहा है जो लगभग 80 सामाजिक आंदोलनों, अभियानों व संगठनों का समूह है का मंच है. लोगों का यह भी कहना था की जिलों में भी जन प्रतिनिधियों को जगाएंगे, जनता के बीच चेतना जागा कर सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा की जिस सरकार ने वर्ष 2000 में सूचना का अधिकार कानून दिया पर अब क्यों सरकार और मुख्यमंत्री झिझक रहे हैं जब जनता इसकी मांग पुरजोर रूप से कर रही है ,उन्होंने मुख्यमंत्री को हिदायत दी की लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि उनकी बात मानना जरूरी है, इसलिए कानून बनाना चाहिये .उन्होंने एक और आवाज उठाते हुए कहा कि जयपुर में धरना की जगह शीघ्र देनी पड़ेगी और चेतावनी दी की इसी मांग को लेकर अनिश्चित कालीन धरना दिया जायेगा
मजदूर किसान शक्ति संगठन के निखिल डे ने कहा कि राजस्थान सरकार ‘जावाबदेही क़ानून’ पारित करे जिससे लोक सेवकों की जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। इससे यह सुनिश्चित हो कि जनता के प्रति लोक-सेवकों की न्यूनतम ज़िम्मेदारी क्या है? नागरिकों की बात सुनी जाए. उनकी शिकायतों का पंजीकरण और समाधान हो, उनकी शिकायतों का समाधान समय-बद्ध तरीक़े से हो,अपील के लिए स्वतंत्र व विकेंद्रित मंच बने.
धरना को शुरू करने से पहले एसएचओ विधायकपुरी राजेश गौतम ने माइक शुरू नहीं करने दिया और माइक सिस्टम का हॉर्न छीन कर ले गए.बहुत ही गुस्से और उग्र ढंग से प्रदर्शनकारियों को कहा कि माइक नही लगाने देंगे और दरियाँ हटा दी ,पुलिस महानिदेशक के हस्तक्षेप के बाद ही पुलिस कमिशनर ने पुन: हस्तक्षेप कर एसएचओ को समान लौटने को कहा और फिर हमारा माइक शुरू किया गया और रैली भी निकालने दी, सभी ने एसएचओ विधायकपुरी के इस कृत्य की निंदा की और इस दमन के विरोध में नारे लगाए.
ज्ञात हो की 2015-16 में एस आर अभियान द्वारा राजस्थान के सभी 33 ज़िलों में 100 दिन की पहली जवाबदेही यात्रा निकाली गयी थी. यात्रा के दौरान अभियान द्वारा लगभग 10,000 शिकायतों का पंजीकरण किया गया, जिन्हें राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर भी डाला गया था और उनके पीछा किया गया था. इसके बाद जयपुर में 22 दिन का जवाबदेही धरना लगाया गया और सरकार से तुरंत यह क़ानून पारित करने की माँग की गयी ताकि लाखों लोगों के मूलभूत अधिकारों के हो रहे उल्लंघन को रोका जा सके.
सभा को वुमन ऑन व्हील्स की लक्ष्मी ने कहा कि सबसे बड़ी शिकायत उनकी यह है की महिला ड्राइवर को नहीं रखा जा रहा है ,इसी तरह माकपा की सुमित्रा चोपड़ा ने कहा कि जिस तरह किसानों ने आंदोलन जीता,इसी तरह राजस्थान के लोग जवाबदेही कानून बना कर ही छोड़ेंगे . कच्ची बस्ती महासंघ के हरकेश बुगालिया ने बताया कि मजदूरों के कार्ड तक नहीं बनते हैं महीनों निकल जाते हैं, इसी तरह निशा सिद्धू , रेणुका पामेचा, राजेन्द्र भाणावत, जन चेतना संस्था की ऋचा औदिच्य,ममता जैतली,तारा चंद वर्मा,नीम का थाना से कैलाश मीणा, उदयपुर से आर डी व्यास,भीलवाड़ा से भंवर मेघवंशी तथा जयपुर से निशात हुसैन आदि ने अपनी बात रखी