धार्मिक रुढ़िवाद से मुक्त होता रेगर समाज
( हेमंत कुमार )
पांचुलाल जी तंवर (जाटोलिया) निवासी मेगड़दा ( हाल निवास- जयपुर) का निधन 28 अप्रैल को हो गया था,उनके निधन के बाद इनके पुत्र चिरंजीलाल जाटोलिया द्वारा समाज सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये गये जो बाह्राणवादी तथा संर्कीण विचारधारा से पोषित समाज के लोगों के लिए सकारात्मक चिंतन व उनमे समाज सुधार भावना जाग्रत करने का कार्य करेगें।उन्होंने अपने पिता के देहान्त के पश्चात बारह दिन के बजाय केवल पांच दिन की बैठक रखी ,इस प्रकार बारह दिनों तक के समय व धन की फिजूल खर्ची तथा अप्रत्यक्ष रूप से परिवार को इस शोक मे डुबोये रखने की रूढिवादी परम्परा में सुधार का प्रयास किया ।
पांचु लाल जी के परिजनों ने चौथे दिन की रात में जागरण का कार्यक्रम तो रखा,लेकिन उसमें काल्पनिक देवी/देवता के व्यर्थ के बखान के बजाए समाज सुधारक संत कबीर, महागुरु संत रविदास एवं स्वामी ज्ञानस्वरूप जी महाराज के विचारों का व्याख्यान किया गया, जो नई पीढ़ी को भी दिशा देते है. घोर पीड़ादायी एवं आर्थिक रूप से समाज को कमजोर करने वाली पहरावनी ओढावनी जैसी प्रथा का त्याग किया, यह प्रथा समाज में आपस में हीन भावना पैदा करती तथा समाज के लोगों को कर्जदार बना देती हैं। इस प्रथा की पैरवी करने वाले न केवल स्वयं बल्कि पूरे परिवार व समाज के आर्थिक शोषक बन जाते हैं।
इतना ही नहीं बल्कि शोक व्यक्त करने घर पहुंचे मेहमानों के लिए सामान्य खाने की व्यवस्था ही की, न कि किसी उत्सव या खुशी के समारोह की भाँति मिष्ठान युक्त भोज का आयोजन !हालाँकि उनके कुछ परिजन इस नवाचार के पूर्णरुप से समर्थन में नहीं थे,लेकिन निर्वाण प्राप्त पांचुलाल जी के बड़े दामाद चतुर्भुज नवल (संयुक्त निदेशक , उद्योग विभाग, जयपुर) एवं इनके छोटे भाई ज्ञानप्रकाश नवल (अति. पुलिस अधीक्षक, दुदु) निवासी कुशालपुरा तथा इंडियन अम्बेडकराईट डॉक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद जाटोलिया के अथक प्रयासों से परिजनों को मृत्यु भोज के मामले में अपने विचार बदलने में सहयोग किया तथा समाज को नई दिशा देने का कार्य किया ।
इस अनुकरणीय उदहारण के पश्चात रेगर समाज के युवाओं ने समाज के गणमान्य नागरिकों से करबद्ध निवेदन किया हैं कि जो भी इस तरह का प्रयास या बदलाव करना चाहते हैं,वे दुषित एवं संर्कीण मानसिकता ग्रस्त लोगों की परवाह किये बगैर बदलाव के लिए तत्पर रहें, आप ऐसे लोगों की परवाह ना करें जो स्वयं अपने, अपने परिवार व समाज की प्रगति के लिए बाधक है । आप अब यह भी ना सोचे कि अपने घर से शुरुआत कैसे करें, पहल हो चुकी है, आपको तो इस दिशा में आगे बढना हैं. आपके साथ पढ़ा- लिखा / बुद्धिजीवी वर्ग खड़ा होगा।