राष्ट्रीय युवा दिवस पर मेरी स्वरचित कविता ” 21 वीं सदी का युवा ” पढ़िए !
( राजमल रेगर )
“21 वी सदी का युवा ”
में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ, सामाजिक कार्यकर्ताओं के जेलों मेंभरे जाने पर इनकी चुप्पी देख रहा हूँ, में इनका घूट – घूट कर जीना देख रहा हूँहाँ मैं 21 वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
सत्ता की मुखालफत करने वालों के हालात देख रहा हूँ, देख रहा हूँ सत्ता के इस खेल को भी, इन युवाओंकी चाटुकारिता भी देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
किसानों को गोलियां और लठ खाते देख रहा हूँ औरमें इन छ्द्म नेताओं के भाषणों पर युवाओं को लट्टू होतें देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
देश की संपत्ति को बेचने वाली सरकार देख रहा हूँ और सरकार के हर फैसले पर ताली बजाने वाले युवा देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
देश में बेरोजगारी और भुखमरी देख रहा हूँ और युवाओं को ताली और थाली बजाते देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
रेल से कटते मजदूर देख रहा हूँ, इस संकट में मददगार हाथों को देख रहा हूँ और मन की बात के भाषणों को देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
बाढ़ में बहते लोगों के आशियाने देख रहा हूँ, भीग गई उन किताबों को देख रहा हूँ, और सरकार के उन वर्चुअल भाषणों को देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
इस लचर हुई व्यवस्था को देख रहा हूँ, नागरिकों को गुलाम बनते देख रहा हूँ, सरकार को मोर नचाते देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
कानून की लाचारी देख रहा हूँ न्यायिक व्यवस्था में दीमक देख रहा हूँ, जजों के लोकतंत्र बचाने की कवायद देख रहा हूँ, हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |
लोकतंत्र की हत्या देख रहा हूँ नागरिकों को भक्त होतें देख रहा हूँ देश के युवाओं के कंधे पर लोकतंत्र की अर्थी देख रहा हूँ,
में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |हाँ में 21वी सदी का युवा देख रहा हूँ |