कोरोना क्राइसिस में धम्म अध्ययन व ध्यान द्वारा अपना मनोबल बढाएं रखें
( डॉ .एम .एल. परिहार )
इस संकट में मानव समाज में भय, दहशत, बेचैनी व मानसिक तनाव व्याप्त है. सभी को चिंता हो रही है कि आखिर क्या होगा?
लेकिन घबराना बिल्कुल नहीं है. बस, शासन व मेडिकल गाइडलाइन का पालन करें. गौर करें कि जिनको यह रोग हुआ ,उनमें इलाज से अधिकतर स्वस्थ हुए है. जिनकी मृत्यु हुई, वे ज्यादातर अधिक उम्र व पहले से कई बीमारियों से पीड़ित थे. मेडिकल अनुसार कोरोना बहुत कमजोर वायरस है जो जरूरी दवाओं, गर्म पानी पीने ,भांप लेने, साबुन से बेअसर हो जाता है. इसलिए अंधविश्वास की बजाय मेडिकल साइंस पर भरोसा करें. सावधानी, रोग प्रतिरोधक क्षमता व परिवार का मनोबल बढाना बहुत जरूरी है.
घबराए नहीं. प्रेम, करुणा व मैत्री के साथ सभी के कल्याण के भावों से लबालब भरे रहें. सकारात्मक सोचे कि इस मुश्किल घड़ी से मानव जल्दी ही उबर जाएगा. इस भय के माहौल में बार बार नेगेटिव घटनाओं पर विचार न करें , न दुष्प्रचार करें. चित्त में पैदा हो रहे भय को ध्यान द्वारा काबू करें. डर ,बेचैनी व निराशा का विकार पैदा न होने दे. मानसिक मनोबल बढाएं रखें.
इस समय धम्म संबंधी ज्ञान, ध्यान की अनुभूति व व्यायाम कर सकते हैं. बुद्ध द्वारा खोजी विपस्सना ध्यान साधना के आचार्य गोयनका जी के दस मिनट, तीस मिनट व एक घंटे के ‘आनापान’ मेडिटेशन ऑडियो गूगल पर उपलब्ध हैं जिसको सुनते हुए सुबह शाम ध्यान का अभ्यास कर सकते है. यह सुअवसर है फिर हालात सामान्य होने पर किसी विपस्सना केन्द्र पर दस दिन का कोर्स कर सकते हैं.
यदि बुद्ध की मूल शिक्षाओं को पढना व जानना है तो ‘बुद्ध और उनका धम्म’ तथा दुनिया में सबसे ज्यादा पढा जाने वाला ग्रंथ “धम्मपद : गाथा और कथा” को पढे. कई विद्वानों की तरह ओशो ने भी ‘धम्मपद’ की 423 गाथाओं व कथाओं की बहुत ही सरल, रोचक व प्रभावशाली भाषा में व्याख्या की है. गूगल पर 122 खंड के ये डिस्कोर्स ‘एस धम्मो सनंतनो’ यानी सदा से चले आ रहे प्रकृति के नियम. Es Dhammo Santano नाम से ऑडियो रुप में उपलब्ध हैं. एक भाग लगभग डेढ घंटे का है जिन्हें एक एक कर आसानी से डाउनलोड कर सुना जा सकता है.
और हां.. इस संकट में अपने आसपास गरीब, मेहनतकश, मजदूर, पीड़ित व असहाय व्यक्ति की सहायता व सेवा कर सकें तो नहीं चुके, यही सच्चा धम्म हैं. तथागत बुद्ध कहते है.
सब्बपापस्स अकरणं कुसलस्स उपसंपदा ।
सचित्तपरियोदपनं एतं बुद्धानं सासनं ।।
अर्थात.. प्राणी हित के लिए अच्छे, कुशल कर्मो को करना, जितना जल्दी हो सके करना और पाप कर्मों यानी बुरे कामों को कतई नहीं करना, यही सभी बुद्धों की शिक्षाएं है. यही धम्म है.
सबका मंगल हो…….सभी निरोगी हो.
(डॉ .एम .एल. परिहार से साभार)
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(Picture Credit-Tantranectar.com)