केन्द्रीय सत्ता ने विश्वविद्यालयों के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा हैं- मेघवंशी
सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था बचाने के लिये एकजुट हो विद्यार्थी -डॉ. विक्रमसिंह
वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा के समक्ष चुनौतियाँ एवं उसके समाधान” विषय सेमिनार सम्पन्न
जोधपुर 17 जनवरी। स्टूडेंट्स फैडरेशन ऑफ इण्डिया (एसएफआई) के आव्हान् पर 11जनवरी से “शिक्षा बचाओ-देश बचाओ अभियान” चलाया गया, इस अभियान के तहत् देश भर में बढ़ते “संस्थागत-हत्या के मामलों पर फोकस करते हुए “रोहित वेमूला यादगार सप्ताह” मनाया गया , जिसके समापन अवसर पर रोहित वेमूला के शहादत दिवस के मौके पर जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय नया परिसर में “वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा के समक्ष चुनौतियां व उसके समाधान” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
सेमिनार को संबोधित करते हुए एस.एफ.आई. के पूर्व अखिल भारतीय महासचिव डॉ. विक्रमसिंह ने कहा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार उच्च शिक्षा पर चौतरफा हमले कर रही है, पिछले छः सालों से केन्द्र सरकार नई शिक्षा नीति के तहत ड्राफ्ट तैयार कर रही है, जिसमें विद्यार्थी आन्दोलनों के चलते अनेक बदलाव करने पड़े है. विश्वविद्यालय में जहां एक तरफ बजट की कमी है वहीं विद्यार्थियों की छात्रवृति भी बकाया है,जब देश के मुख्य विश्वविद्यालय जेएनयू, एएमयू, जामिया मिलिया, जाधवपुर में विद्यार्थी फीस बढ़ोत्तरी एवं अन्य मुद्दो को लेकर संघर्ष कर रहा है,वहीं केन्द्र सरकार शिक्षा का केन्द्रीयकरण करते हुए सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने में लगी है यदि किसी विश्वविद्यालय में विद्यार्थी शिक्षा नितियों के खिलाफ आन्दोलन करता है तो सत्ता के लिए देशद्रोही हो जाता है।
सेमिनार में बोलते हुए शून्यकाल के सम्पादक एवं प्रतिष्ठित पत्रकार भंवर मेघवंशी ने कहा कि वर्तमान दौर पर नजर डाले तो हमारे देश में एक ऐसे युद्ध का आभास होता है जो सर्वसम्पन्न सत्ता ने देश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों एवं उनके विद्यार्थियों के खिलाफ छेड़ रखा है। हमें समझना पड़ेगा कि इतने ताकतवर लोग सवाल करने वाले विद्यार्थीयों से भयभीत क्यों है, उच्च शिक्षण संस्थानों को बदनाम करने वाले वही लोग है जिसके वैचारिक पूर्वजों ने नालन्दा व तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों को बर्बाद कर दिया था।
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के.एल. रैगर ने कहा कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की हिफाजत के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है अतः संविधान को बचाना हैं तो शिक्षा प्रतिष्ठानों में पढने वाले विद्यार्थियों की चेतना बढानी होगी।
मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर विमला वर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों और नौजवानों को हताशा के माहौल से निकालने के लिए हमारी शिक्षा नीति में बड़े बदलाव करने पड़ेंगे।
दलित शोषण मुक्ति मंच (डीएसएमएम) के प्रदेश संयोजक एडवोकेट किशन मेघवाल ने कहा कि देश के विद्यार्थियों और नौजवानों का भविष्य संकट में है परन्तु सरकार इनके सपनों पर पानी फैरते हुए जाति-धर्म के फसाद करा रही है, अतः हमें लोकतंत्र व संविधान को बचाने के लिये मजबुत आंदोलन के निर्माण करने की जरूरत है।
एस.एफ.आई. के प्रदेश उपाध्यक्ष गोविन्द शर्मा ने कहा कि राज्य में सत्तासीन रही सरकारें लगातार शिक्षा विरोधी नीतियां लागू कर रही है यदि स्कूली शिक्षा पर विचार करे तो 25000 से ज्यादा विद्यालयों में आजादी के 70 साल बाद भी बिजली का कनेक्शन नहीं है। सरकारी महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के हजारों पद खाली है, इसके चलते केवल डिग्रीयां बांटने का काम हो रहा है सरकार की नितियों के चलते गरीब व दलित तबके का विद्यार्थी शिक्षा से वंचित रह रहा है।
इस मौके पर राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व काउन्सलर शैलेष मोसलपुरिया, एसएफआई के पूर्व प्रदेश महासचिव महिपालसिंह, एडवा की महानगर संयोजक रविना हदावत, एडवा जिलाध्यक्ष नेहा मेघवाल ,जिला सचिव लीला खमियादा, एसएफआई जेएनवीयू कमेटी महासचिव राकेश गुलसर, एसएफआई विज्ञान संकाय कमेटी अध्यक्ष मदन पारिक व सचिव विवेक चारण, सूरज मेघवाल, अनुज परिहार. कैलाश प्रसाद बामणिया, जोगराजसिंह, महेन्द्र मेघवाल, कंवरराज, अशोक, विजय बारूपाल, सुरेन्द्र, खगेन्द्र, प्रेम, सागर, दिनेश, रमेश, लक्ष्मण हापासर, श्रवण कुमार सहित सैकड़ों पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।
सेमिनार के अंत में एसएफआई के जिला संयोजक रूखमण साहेलिया ने सभी व्यक्ताओं, मेहमानों एवं आगंकतुकों का आभार व्यक्त किया, मेहमानों को स्मृति चिन्ह भेंट किए।सेमिनार का संचालन एसएफआई के प्रदेश उपाध्यक्ष एच.आर.भाटी ने किया।