सरपंच बनने के लिये शेड्यूल कास्ट बन गया एक गुर्जर परिवार !

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( भंवर मेघवंशी )
राजस्थान के अन्य हिस्सों के गुर्जर लोग आरक्षण का फ़ायदा लेने के लिए आंदोलन की राह पर हैं , मगर भीलवाड़ा ज़िले की आसीन्द तहसील की बोरेला ग्राम पंचायत के जोधा का खेड़ा गाँव का हरदेव गुर्जर चुपचाप , बिना कोई शोर शराबा किये शेड्यूल कास्ट में शामिल हो गया .गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैसला को बोरेला के हरदेव गुर्जर से सीखना चाहिये कि कैसे बिना कोई आंदोलन किये ओबीसी से एससी में शामिल हुआ जा सकता है .


हरदेव गुर्जर वैसे तो ओरिजनली ख़ानदानी गुर्जर ही है , संयोग से उसकी गौत्र कोली होने से तुक्का लग गया और अपनी पंचायत में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई सरपंच की सीट पर क़ब्ज़ा करने की नीयत से हरदेव गुर्जर ने अपनी जाति का त्याग कर दिया और भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय राम नाथ कोविद की कोली जाति में भर्ती हो गया , हालाँकि भीलवाड़ा की कोली महासभा इस ‘ जाति परिवर्तन ‘ का विरोध कर रही है , पर इससे हरदेव गुर्जर को क्या फ़र्क़ पड़ता है . अब जब वह खुद कह रहा है कि कोली है तो कोली है . उसके पास सर्टिफिकेट है , वह सर्टिफ़ाइड कोली है , करते रहो विरोध ..


जो भी लोग शांतिपूर्वक अपनी अपनी जाति का परिवर्तन करना चाहते हैं , उनके लिए हरदेव गुर्जर एक उदाहरण है . बिना कोई आवाज़ , मांग व आंदोलन किये कैसे बैक वर्ड कास्ट से शेड्यूल कास्ट बना जा सकता है . रेवन्यू रिकोर्ड में न केवल हरदेव गुर्जर कोली बना बल्कि उसका पूरा ख़ानदान भी शेड्यूल कास्ट हो गया . इस जाति परिवर्तन का तुरंत फ़ायदा भी हुआ . हरदेव गुर्जर की बेटी कंचन गुर्जर अब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से निर्वाचित सरपंच है और ठाठ से सरपंचाई भी कर रही है .

चतुर सुजान हरदेव गुर्जर ने इसके लिये क़ानून का रास्ता चुना , दस्तावेज़ बनाये , सबूत निर्मित किये. सबसे पहले उसने कोली के रूप में ज़मीन ख़रीदी , उस ज़मीन पर बैंक से लोन लिया.फिर पटवारी के फ़र्ज़ी दस्तख़त से रिपोर्ट बनाकर तहसीलदार से कोली उपजाति का सर्टिफिकेट हासिल किया. यही नहीं बल्कि उसने अपनी बेटी कंचन के शैक्षणिक दस्तावेज़ भी बदल दिये. असल में तो कंचन गुर्जर ने राजस्थान माध्यमिक बोर्ड से मेट्रिक व सीनियर की और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय अजमेर से कला स्नातक भी ओबीसी गुर्जर के रूप में किया , पर हरदेव गुर्जर तो उसका भी बाप निकला , उसने कंचन को झुंझंनू की हांसलसर की एक प्राइवेट स्कूल से दसवी पढ़वा दी , वो भी कंचन कोली के नाम से , पर वोटर कार्ड , भामाशाह कार्ड व अन्य रेवन्यू रिकोर्ड में तो वह कंचन गुर्जर ही बनी हुई है अभी तक भी .


इसे चमत्कार ही माना जाये कि बोरेला की सरपंच कंचन के पिता हरदेव , माँ लाडुदेवी , दादा पोखर जी , दादी नंदू देवी आदि इत्यादि बरसों से गुर्जर हैं , गाँव वालों की मानें तो सदियों से यह परिवार गुर्जर ही है , पर सरपंच पद के लालच में समाज को त्याग करके शेड्यूल कास्ट में शामिल हो गया है . वैसे गुर्जर समाज ने अभी उसे निष्कासित नहीं किया है और न ही कोली समाज ने उसे स्वीकार किया है , पर इससे कंचन गुर्जर व हरदेव गुर्जर पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है . वह अब कंचन कोली है , कोली है और कोली है . हालाँकि गाँव और समाज में वो गुर्जर भी है . अब है तो है , कोई क्या बिगाड़ लेगा ?


कोली महासभा ने ज्ञापन दिया है . मूलनिवासी विचारधारा के लोगों ने भी नया लैटरपेड बना कर ज्ञापन दिया है , उनके सामने धर्म संकट था कि गुर्जर भी मूलनिवासी और अनुसूचित जाति भी मूलनिवासी . इसलिये नया बैनर बना कर ज्ञापन दिया गया है . दूसरी तरफ़ पटवारी की तरफ़ से सरपंच के विरुद्ध कूट रचित फ़र्ज़ी दस्तावेज़ तैयार करने की धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज हुआ है . कहने के लिए पुलिस कार्यवाही कर रही है , पर कार्यवाही के नाम पर पुलिस क्या करेगी. सबको विदित है .


ज्ञापन लेने में माहिर हो चुका प्रशासन इतना उदासीन हो चुका है कि वह केवल काग़ज़ी घोड़े दौड़ा रहा है , दूसरी तरफ़ सरपंच साहिबा और उनके पिताजी स्वागत सत्कार का आनंद ले रहे हैं . चंदा उगाही और पंच पंचायती करके जीवन यापन करने वाली जाति गैंग्स को साँप सूँघ गया है , उन्होंने मुँह में दही जमा लिया है . वैसे भी इसमें उनको क्या फ़ायदा ?


आज बोरेला के अनुसूचित जाति के युवाओं ने  एक रणनीतिक बैठक की है और उनका एक प्रतिनिधि मण्डल मुझसे भी अम्बेडकर भवन आकर मिला है . अनुसूचित जाति के हक़ पर फ़र्ज़ी जाति प्रमाण पत्र के ज़रिए डाका डालने के इस आपराधिक कांड का हर स्तर पर विरोध करने व वैधानिक कार्यवाही की शुरुआत की गई . राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रमा शंकर कठेरिया तथा डायरेक्टर से सम्पर्क किया गया .साथ ही एससी एसटी अट्रोसिटीज़ एक्ट में मुक़दमा करने की कार्यवाही भी अमल में लाई जा रही है . राज्य निर्वाचन आयोग को भी सामाजिक न्याय एवं विकास समिति के ज़रिये याचिका भेजी गई है और राजस्थान हाईकोर्ट में भी इस बाबत रिट लगाने का फ़ैसला किया गया है .


देखते हैं कि हरदेव गुर्जर का जाति परिवर्तन कब तक टिका रहता है और कब तक वे कोली बने रहते हैं . इलाक़े के दलित युवाओं ने इसे अपने हक़ की लूट घोषित करके इसके ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर संघर्ष का ऐलान किया है . शीघ्र ही बहुत कुछ होगा, लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

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