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September 2020

हाथरस की बेटी के साथ न्याय हो : जातीय गुंडों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो

( विद्या भूषण रावत )उत्तर प्रदेश के हाथरस में वाल्मीकि समाज की लड़की की जिस बेरहमी से बलात्कार के बाद ह्त्या की गयी है वह दिल दहला देने वाली है. वैसे यह घटना 14 सितम्बर को घटी और उसके बाद से ही लड़की के परिवार वाले भटक रहे थे के उसके साथ

चार दशक के अदम्य संघर्ष की कहानी है “कितनी कठपुतलियाँ”

( एस आर मेहरा ) “कितनी कठपुतलियाँ"में कठपुतलियाँ भले ही अनगिनत हों पर नायक शंकर सिंह जैसा वास्तविक और संघर्ष करने वाला हो और लेखक भंवर मेघवंशी जैसा बेबाक,निर्भिक,स्वतंत्र और जमीनीं स्तर का संजीदगी से भरा हो तो इन्हीं अनगिनत

कहां है संस्कृति के रक्षक ?

 ( डॉ. संदीप कुमार मेघवाल, स्वतंत्र कलाकार, उदयपुर ) संज्ञान में आया कि सरकार के पास कला और कलाकारों के संरक्षण के लिए कोई बजट नहीं है। बहुत दुर्भाग्यपूर्ण मामला है कि ललित कला अकादमी को संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन

जोहार का विरोध : आदिवासी चेतना को दबाने की संघी साज़िश !

भंवर मेघवंशी राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री ,नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया जो कि आरएसएस के खांटी स्वयंसेवक हैं,उन्होंने राजस्थान के पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव को पत्र लिख कर डूंगरपुर बांसवाडा क्षेत्र में कार्यरत राजनीतिक दल

‘अशोक चक्र’ से जात ढूंढ़ लेने वाले लोग कौन है ?

- कुणाल रामटेके मुंबई स्थित ‘टाटा समाजिक विज्ञान संस्था’ के हमारे साथी तथा पीएचडी स्कॉलर एडवोकेट सुजीत निकालजे और उनके परिवार पर हुआ कथित जातिगत हमला आज भी भारतीय समाज की उस समस्या को अधोरेखित करता है जिसके दृढ़ीकरण हेतु धार्मिक

भारतीय ट्राइबल पार्टी और आदिवासी लोग !

कैलाश चंद्र रोत    दक्षिण राजस्थान में हाल का राजनीतिक परिदृश्य देश के परिदृश्य से किन्हीं  बातों से खास है या यू कह सकते हैं कि किसी भी समाज और उसमें रहने  वाले लोगों के नियमों को  संस्कृति री  ति रिवाज परिपाटी इत्या दि से ही  समाज

अरुणा पार्टी के संघर्षों का जीवंत दस्तावेज़ है – कितनी कठपुतलियाँ

- शालिनी शालू 'नज़ीर'   यह पुस्तक कोरी कल्पनाओं का आधार मात्र न होकर शंकर सिंह के व्यक्तिगत जीवन और मजदूर किसान शक्ति संगठन के कार्यकर्ता के रूप आई सभी छोटी बड़ी घटनाओं का वास्तविक वर्णन है। इस पुस्तक के माध्यम से समाज और कानून का कोरा

गीताप्रेस, गोरखपुर : जिसने संकट का सामना करते हुए पूरे भारत का धार्मिक पासा ही पलट दिया !

- डॉ. एम एल परिहार सिर्फ किताबों से सामाजिक,वैचारिक व सांस्कृतिक कायापलट की जा सकती है यह साबित कर दिखाया गीता प्रेस गोरखपुर ने. भारत के सबसे पुराने व बड़े इस संस्थान की स्थापना 1923 में जयदयाल गोयनका ने की थी. इसके संस्थापक संपादक

‘स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान’ सुधीर विद्यार्थी को !

चित्तौड़गढ़। सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना के जन्म शताब्दी वर्ष में साहित्य संस्कृति के संस्थान संभावना द्वारा 'स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान' की घोषणा कर दी गई है। संभावना के अध्यक्ष डॉ के सी