उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्षा का शराब माफिया को समर्थन कतई अस्वीकार्य
पिछले दिनों उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजय बड़थ्वाल जी, जो कि 3 बार विधायक भी रह चुकी हैं, उन्होंने भागीरथी गंगा व अलकनंदा गंगा के संगम देवप्रयाग में शराब की बॉटलिंग प्लांट का समर्थन यह कहते हुए किया कि शराब तो लोग पीते ही हैं शराब कहीं से भी आए. उन्होंने इसे रोजगार वृद्धि और और प्रदेश की आर्थिकी सुधारने के लिए सहयोगी बताया.
हम इस बात पर शोक और अफसोस व्यक्त करते हैं कि राज्य के अत्यंत महत्वपूर्ण, खासकर महिलाओं के सम्मान, अधिकार व उनकी शारीरिक रक्षण के लिए बनाये गए महिला आयोग की अध्यक्षा, देवप्रयाग में शराब प्लांट को रोजगार का साधन व विकास का हित मानती हुए उसके विरोध को अनुचित बता रही हैं। उनका यह बयान उत्तराखंड के बड़े अखबारों में बड़ी खबर बंनकर गया है. जो बहुत तरह के संदेश देता है। शराब माफिया इससे मजबूत होता है। सरकार के मुखिया राज्य में नशा मुक्ति की बात कर रहे हैं। यह बात भी दीगर है की सत्ता में आने के बाद इस सरकार ने शराब पर कोई पाबंदी नहीं लगाई बल्कि उसको बढ़ावा ही दिया है। ऐसे में महिला आयोग की अध्यक्ष का इस तरह का बयान बहुत चिंताजनक है।
यह उत्तराखंड की उन महिलाओं का अपमान है जो बरसों से शराबबंदी आंदोलन के लिए संघर्ष करती रही है। जिन्होंने समय-समय पर लंबी जेले भुगती है, लाठियां खाई है।
उनका यह बयान सरकारी राजनेता की भाति लगता है। जबकि उन पर उत्तराखंड की बहनों की बड़ी जिम्मेदारी है। उनके इस ब्यान ने हमें सकते में ला दिया है। उनका ब्यान सरकारी नीतियों के साथ पूरी सहमति के दिखाता है। तब कैसे सरकारी नाइंसाफी की शिकार और शराबबंदी आंदोलन करने वाली महिलाएं सरकारी जुल्मो के खिलाफ उनके पास अपनी शिकायत ले जा पाएंगी? आयोग में राजनीतिक नियुक्ति ने आयोग की निष्पक्षता व कार्यकलाप को संदेह की दृष्टि में ला दिया है।
हम राज्य महिला आयोग का सम्मान रखते हुए आयोग की अध्यक्षा जी से अपेक्षा करते हैं कि वे अपने इस बयान पर खुलासा करें।
हम हैं
विमल भाई, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, 9718479517
राजीव लोचन साह, उत्तराखंड जल वाहिनी, 9458160523
मुकुल, संपादक, संघर्षरत मेहनतकश
जगमोहन रौतेला , युगवाणी (पत्रिका) , देहरादून
इस्लाम हुसैन, स्वतंत्र पत्रकार, काठगोदाम नैनीताल
गीता गैरोला व निर्मला बिष्ट, उत्तराखंड महिला मंच
समीर रतूड़ी, हिमालय बचाओ आंदोलन व प्रजामंडल
बसंत पांडे, लालकुआं बिंदुखट्टा