ऑनलाइन शॉपिंग या लोकल बाजार ?
-सूरज पारीक
फ्लिपकार्ट और अमेजन ने अक्टूबर में ही अपने तीसरे हमले की तैयारी कर ली है।दोनों भारी ई कॉमर्स वेबसाइट ने अक्टूबर महीने में ही तीसरी बम्पर सेल की आरम्भ कर दी है,जो 21 से 25 अक्टूबर तक चलेगी।ऐसा पहली बार हुआ है कि दोनों तरफ से मुकाबला टक्कर का है,केंद्रीय मंत्री गोयल ने भी लोकल दुकानदारों को चाटते रहने के लिए लॉलीपॉप नुमा बयान दिया है कि,”इतना भारी डिस्काउंट नहीं चलेगा” और प्रत्युत्तर में दोनों बड़ी साइट्स ने पहली बार ही एक ही माह में तीसरी बार बम्पर सेल डाल दी है।दीपावली से तत्काल पहले,जो दीपावली तक सामान ग्राहक तक पहुँचा देंगे।
फ्लिपकार्ट और अमेजन भारी भरकम डिस्काउंट दे रहे है।आम समय में 10 हजार में बिकने वाले Realme 5 और Redmi 7s की कीमत 8999 कर दी है।10% sbi डिस्काउंट के साथ ही 10% प्रीपेड डिस्काउंट से फोन महज 7199 में पड़ रहा है।
अब बोलो!!!और ये डिस्काउंट कपड़े,जूते, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण,फैशन सामग्री के साथ ही खाद्य सामग्री में भी भारी छूट के साथ उपलब्ध है।मान ली मंत्री जी की बात!
वही लोकल दुकानदार भी अपना पूरा प्रयास कर रहे है।लेकिन केवल व्हाट्सअप और फेसबुक पर ऑनलाइन शॉपिंग के खिलाफ मैसेज फोरवर्ड करते हुए।मैसेज में केवल दो ही भाव-बाजार की बदहाली और उसका कारण सिर्फ ऑनलाइन को बताना!
उनसे अपनी लाइन बड़ी करो नब!क्यों हार मानते हो ?भाई जी,अगर मैसेज ही लिखने है तो आप भी अपनी दुकान से दिए जा रहे ऑफर्स और डिस्काउंट की बात लिखो न ! अपनी ताकत के बारे में लिखो न कि,आपके पास ऑनलाइन से बेहतर व्यवहार है, आफ्टर सेल सपोर्ट है, घर पर डिलीवरी है(शुरू करनी पड़ेगी!)
आईटी सेल के भावनात्मक और भड़काऊ फोरवर्डेड मैसेज के तरह कैसे ग्राहक को दुकान पर ला सकोगे ?ग्राहक अभी आपसे थोड़ा सा क्षुब्ध होने के साथ ही ऑनलाइन की सुविधाओं से अभिभूत है।नयापन है उसमें!वैसे अभी खरीददारी में अभी तक भी लोकल दुकानदारी भारी है लेकिन उसके भारीपन के कारणों में वर्तमान दुकानदारों का विशेष योगदान नहीं!अधिकतर ग्राहक या तो ऑनलाइन शॉपिंग के बारे में बताए जाने वाले फर्जी तथ्यों से घबराता है(मोबाइल के बजाय साबुन की बट्टी आ जायेगी !) या वो खरीदने सम्बन्धी ज्ञान न होने से ठगने से डर रहा है।कुल मिलाकर यहाँ भी डर का ही खेल है।लेकिन समय के साथ साथ ये डर खत्म भी हो रहा है।
भाईसाहब लोकल दुकानदार जी,मुझे तो लगता है कि इन ऑनलाइन वालो को पनपाने में आपका भी कम योगदान नहीं.दुकानदार के काउंटर पर तो लिखाते हो,”ग्राहक हमारा राजा है!”लेकिन राजा को आप न तो बेचते वक़्त दिल से पूरी वैरायटी बताओगे(जो आपके पास अमूमन होती भी नहीं!) और ज्यादा बताने के बाद भी पसन्द न आने पर शायद कोई टोंड(व्यंग्य) कर दोगे!दुकान पर ग्राहक खड़ा घबराता है कि पता नहीं,कितने रुपये मांग लेगा!?मैं कम करवा पाउँगा या नहीं! थोड़े बहुत कम करवा भी लेता है तो दूसरी दुकान पर और सस्ते में देखकर केवल पछताता है बेचारा!आप न ही बिक्री के बाद की कोई जवाबदेही रखते हो।आपको भी आसपास के धनी दुकानदारों को देखकर इसी साल लग्जरी कार लानी है तो लेंगे मुनाफा डेढ़-दो गुना!मिलने वाले ये सोचकर आते है कि चलो भाव सही लगेंगे,लेकिन आप सिद्धांत पालकर बैठे हो कि,”घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या!?”काट लेना चाहते हो सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को एक बार में ही!आप हमसे ऑनलाइन का बहिष्कार कर अर्थव्यवस्था बचाने की बात करते हो,जैसे आप तो पूरा टैक्स चुकाकर अर्थव्यवस्था के मूल कर्णधार बने बैठे हो!भारतीय व्यापारी जितना गली निकालने में सक्षम कोई और नहीं!उधारी तो आजकल फ्लिपकार्ट, अमेजन भी दे देती है।फ्लिपकार्ट ने हमारी पैठ देखकर हर महीने 7000 तक की उधारी दी है, चुकाओ अगले महीने!ऑनलाइन(फ्लिपकार्ट/अमेजन) पर हर छोटे से छोटा सामान टैक्स पेड बिल के साथ होता है।आपसे बिल माँगते है तो आप दाँत निपोरकर कहेंगे कि,”तब तो भाईसाहब,GST भी लगेगा!”हम कहेंगे कि,”भाईसाहब,क्रेडिट कार्ड काम लेंगे!””भैया,क्रेडिट कार्ड पर 2% एक्स्ट्रा आपको ही देना पड़ेगा,जो बिल में नहीं जुड़ेगा!””तो आप PAYTM/PHONEPE कर लो””हें हें हें, वो तो हम नहीं रखते!”तो भाई,2019 में भी दुकान क्यों खोल रखी है!??सरकार ने आगे चलकर नोटबन्दी का मकसद ही #कैशलेस बोल दिया और तुमको अभी भी नोट चाहिए!अबे!गाड़ोगे क्या जमीन में!?!?जबकि ऑनलाइन साइट्स पर ढेरो पेमेंट ऑप्शन्स पड़े है, जो चाहे काम लो,डिस्काउंट के साथ!कुछ गलती आपकी भी नहीं है!जैसे ऑनलाइन प्रोडक्ट घर पर बैठे बैठे ऑर्डर हो जाता है।दीपावली की भीड़ की कल्पना और अलग अलग सामानों के लिए अलग अलग भीड़ भरे काउंटर्स में घुस कर हवा में फूल रहे चिडोकले दुकानदार से भाईसाहब-भाईसाहब करके निवेदन करने के बजाय विशाल वेरायटी एक क्लिक पर ही ग्राहक के सामने!डिलीवर होते वक़्त और डिब्बा खोलते वक़्त जो रोमांच होता है, वो तो आप कहाँ से दे सकोगे!?पसन्द न आने पर बिना सवाल वापसी भी ऑनलाइन पर ही होती है, आप तो कल आ चुके ग्राहक को फिर से दुकान में आया देखकर ही मुँह फुला लेते हो कि,”साला!सामान बदलाने आ गया!” खैर,ग्राहक को सुविधा और व्यवहार तो दो।आप तो खुद को राजनीतिक दल समझकर जनता के बीच ऑनलाइन के खिलाफ फोरवर्डेड मैसेज चला रहे हो,जबकि खुद भी दुकान पर ऑनलाइन सामान सस्ते में मंगवाकर गैरकानूनी तरीके से ब्लेक में बेच रहे हो!(बोलो,बेचते हो न!?)अब बारी आती है सरकार की!पहले खुदरा व्यापार में वालमार्ट के आने का विरोध था कि लोकल दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे तो वालमार्ट तो घुस चुका है।फ्लिपकार्ट में वालमार्ट की भागीदारी 77% है, वही अमेजन पूरा विदेशी ही।सरकार भी देख रही है इस भारी भरकम व्यापार को।सही बताये तो अभी तो फिर भी लोकल दुकानदार का काम चल रहा है।लग्जरी कार के सपने अभी भी जिंदा है, लेकिन स्थितियाँ तेज गति से असन्तुलन की तरफ जा रही है।22% की दर से ग्रोथ करता ऑनलाइन शॉपिंग बाजार जल्दी ही बाजार सुने करेगा।लेकिन इसे रोकने की पहली जिम्मेदारी लोकल दुकानदार की है।आप केवल विरोध के झंडे उठाने के बजाय ग्राहक को वास्तविक राजा समझो।ऑनलाइन के बारे में केवल भ्रामक जानकारियाँ देने के बजाय अपने मजबूत पहलू बताओ।लोकल शहर में डिलीवरी नेटवर्क बनाओ।नवाचार के माध्यम से ग्राहक को जोड़े रखो।ये क्या है!? हर त्यौहार पर मुहूर्त या पुष्य नक्षत्र दिखाकर सामान खरीदने की अपील करते हो?अरे भाई,आप तो डिस्काउंट, स्कीम,व्यवहार के साथ आफ्टर सेल सर्विस सपोर्ट दो,हर नक्षत्र में आपकी सेल चलती रहेगी।और ग्राहक भी समझे कि, हर ऑनलाइन शॉपिंग साइट खरी नहीं होती।कई बार चौबे जी,छब्बे जी बनने के चक्कर मे दुबे जी ही रह जाते है।कार्ड और मोबाइल के जरिये करोडोकी ठगी रोज हो रही है।भारत में साइबर अपराध को रोकने का अभी कोई तन्त्र सही तरीके से काम नहीं कर रहा।पुलिस से ज्यादा टेक्निकल एक्सपर्ट तो अपराधी है।तो,बिना मेरे जैसे किसी अनुभवी की मदद के कोई ऑनलाइन शॉपिंग न करे।कोई भी सामान खरीदे तो पहले लोकल मार्किट में उसकी कीमत जाँच ले।10% ज्यादा कीमत देकर भी लोकल दुकानदार से खरीदने में समझदारी है।जैनेंद्र जी के निबन्ध ‘बाजार दर्शन’ के अनुसार उतना ही खरीदे,जितनी आपकी जरूरत हो।चाहे ऑनलाइन हो या offline!!!अपनी जरूरतों का अधिकाधिके सामान बाजार से ही खरीदे।और ऑनलाइन से भी खरीदे तो एक बार लोकल दुकानदार को जरूर जाँचे।दुकानदार जी,आप भी अब चिढ़ना बन्द करो ग्राहक और अपनी प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन कम्पनियों पर!! आओ,मैदान में.आखिरकार,बाजार भी तो हमारा ही है, और चलते रहना चाहिए।