जब वाजपेयी जी ने कहा था ‘पाकिस्तान जाकर खेल ही नहीं, दिल भी जीतिए !
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन !
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन गुरुवार शाम 5.05 मिनट पर हो गया। वह 93 साल के थे। अटल जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ था , स्नातक तक की शिक्षा उन्होंने ग्वालियर से ही पूरी की। इसके बाद राजनीति शास्त्र की डिग्री के कानपुर जाने का मन बनाया, लेकिन पैसों के चलते पिता उन्हें भेजने को तैयार नहीं हुए। तब वहाँ के तत्कालीन राजा जीवाजीराव सिंधिया ने वाजपेयी जी को छात्रवृत्ति देने का फैसला किया । राजा की छात्रवृत्ति लेकर कानपुर आए और डीएवी कॉलेज से लगभग 4 साल तक शिक्षा ग्रहण किया ।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी वकालत की पढ़ाई डीएवी कॉलेज,कानपुर से पूरी की। बड़ी बात यह थी कि जब अटल वकालत की पढ़ाई कर रहे थे तब उनके पिता भी उनके सहपाठी थे। इस दौरान अटल अपने पिताजी के साथ ही क्लास अटेंड किया करते और हॉस्टल के एक ही कमरे में रहते थे।
वाजपेयी ने साल 2005 में आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था. यह जनसभा मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई थी .
साल 2009 में उन्होंने एक सांसद के रूप में अपना अंतिम कार्यकाल पूरा किया और फिर कभी चुनाव नहीं लड़े.
मार्च 2015 में वाजपेयी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों दिल्ली स्थित उनके घर पर भारत रत्न से सम्मानित किया गया
प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद वाजपेयी अब तक कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में अपनी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ रहते रहे.
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच जो खटास पैदा हुई थी, उसे खत्म करने के लिए अटल ने खेल का सहारा लिया था। उन्होंने भारतीय टीम को पाकिस्तान का दाैरा करने के लिए इजाजत दी। लगभग 14 साल बाद पहली बार भारतीय टीम साल 2004 में सौरव गांगुली की कप्तानी में पांच वनडे और तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने पाकिस्तान रवाना हुई,स दौरान अटल जी ने खेल भावना दिखाते हुए न सिर्फ भारतीय टीम का हौसला बढ़ाया बल्कि उपहार स्वरूप एक बल्ला भी दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने शुभकामनाओं के तौर पर दिए बल्ले में लिखा था, ‘खेल ही नहीं, दिल भी जीतिए, शुभकामनाएं।
अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कहां जाता है कि कई बार वो बेहद कठिन सवाल को सिर्फ अपने ठहाकों से टाल देते थे.
ऐसी ही एक घटना का जिक्र करते हुए आरएसएस के प्रचारक रहे और अभी दीनदयाल शोध संस्थान में कार्यरत संतोष मिश्र ने बताया, ‘अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तो चित्रकूट में नाना जी देशमुख द्वारा शुरू किए गए ग्राम विकास के कार्यक्रमों को देखने आए. इस दौरान कक्षा पांच की एक आदिवासी बच्ची ने उनसे पूछ लिया कि आपने शादी क्यों नहीं की.’
उन्होंने आगे बताया, ‘इस पर अटल जी ने जोर का ठहाका लगाया. उन्हें हंसते हुए देखकर सभी ने राहत की सांस ली. फिर अटल जी ने उस बच्ची ने कहा ‘कोई मिला ही नहीं.’ उनके ऐसा कहने पर सभी फिर हंस पड़े.’