क्रिकेटर हार्दिक के साथ जो हुआ है,उसे मैं गलत ही कहूँगा। इस तरह की किसी भी हरकत के लिए हमें खुद से भी पुख्ता जानकारी होना जरूरी है। गुस्सा, आक्रोश अपनी जगह जायज हो सकता है पर सही मुद्दों पर। सबसे पहले गलती कहूँगा केस करने वाले वकील की। उसके बाद सबसे भी बड़ी गलती की भारतीय मीडिया ने की ,जिसने बस FIR के होते ही हार्दिक की धज्जियाँ उड़ा दी।
मैंने सबसे पहले हार्दिक का ट्विटर चेक किया, फेसबुक पर जितना मुझसे हुआ चेक किया, गूगल किया मुझे हार्दिक का वो ट्वीट कहीं नहीं मिला। मुझे लगा दिक्कत हैं कहीं न कही। उससे पहले उस खबर पर 60% यकीन मुझे भी हुआ था,लेकिन शक था और वही बात हुई।
दोपहर होते ही मेरी नजर मैं वो ट्वीट आ गया.जिसके बाद मुझे बहुत अफसोस हुआ कि गुस्से की बोखलाहट में लोग बेबकूफ क्यों बनते जा रहे हैं ? मुकदमा लगाने से पहले सही और पुख्ता जानकारी क्यों नहीं की ? क्यों फैक्ट चेक नहीं करते ? क्यों पहले नहीं सोचते।
दरअसल हार्दिक पंड्या का असली ट्विटर हैंडल @hardikpandya7 है, जबकि भीमराव आंबेडकर पर जो ट्वीट किया गया था, वो @sirhardik3777 नाम के ट्विटर हैंडल से किया गया था.जो फेक एकाउंट है।
हम लोगों को विवेक से काम लेना बहुत जरूरी है। नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, मायावती, लालू, तेजस्वी, एंकर रविश, श्वेता, सुधीर चौधरी से लेकर अनगिनत सेलेब्रिटीज़ के फेक एकाउंट लोगो द्वारा बना लिए गए हैं। जिससे भड़काऊ खबरें, आपत्तिजनक टिप्पणियां आती रहती हैं और लोग समय-समय पर भड़कते रहते हैं, उत्तेजित होते हैं।
आज के दौर में फेक, रियल का अंतर सबको समझ नहीं आता पर गौर करेंगे, क्रॉस चेक करेंगे तो पकड़ में आ जायेगा कि एकाउंट फेक है या रियल ? और ब्लू टिक का खासतौर से ध्यान रखें जो सेलेब्रिटीज़ के वेरीफाई एकाउंट को ही मिलता है,फेक एकाउंट को नहीं।
उम्मीद करूँगा की आगे ऐसे किसी पर केस करने से पहले, इल्जाम लगाने से पूर्व पूरी जानकारी कर लेंगे। अफवाह नहीं फैलाएंगे। मेरी बातों से भड़कें नहीं, कृपया गौर करें । गलती आपसे ,मेरे से या किसी से भी हो सकती है।