राम विलास : सवर्ण-हित में काम करने के लिये अभिशप्त एक दरिद्र नेता !
( एच एल दुसाध )
मेरा वर्षों से मानना रहा है कि रामविलास पासवान एक साधारण किस्म के पढ़े-लिखे अनपढ़ नेता रहे हैं . जिन्हें सरकम्सटेंसेज ने लोगों की नज़रों में असाधारण बना दिया.सिर्फ पासवान ही क्यों, इनके साथ दलित -पिछड़े समुदाय के जिन तीन-चार लोगों का नाम उच्चारित किया जाता है, वे पढ़े-लिखे हो कर भी इन्ही की तरह अनपढ़ और असंवेदनशील हैं. ये सभी सरकम्सटेंसेज की उपज हैं. जिस हालात की ये उपज हैं, उसे पैदा किया मान्यवर कांशीराम ने.
कांशीराम ने बामसेफ के जरिये वर्ण-व्यवस्था की वंचित जातियों में शासक बनने की महत्वाकांक्षा पैदा करने के साथ जो जाति चेतना का राजनीतिकरण किया, मंडल की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद उसमे लम्बवत विकास हो गया. जाति चेतना के फलस्वरूप विभिन्न जातियों के लोग अपने-अपने सजाति नेताओं को सांसद -विधायक बना कर शासक बनने का अहसास एन्जॉय करने लगे .कांशीराम के जाति चेतना के राजनीतिकरण का लाभ खासतौर से उन जातियों के नेताओं के नेताओं को मिला जिनकी सजाति का संख्या-बल चुनाव को प्रभावित करने लायक रहा.
भारतीय राजनीति की दिशा तय करने वाली हिंदी पट्टी के उ.प्र. में जाट, अहीर, चर्मकार और बिहार में दुसाध, कुर्मी, अहीर इत्यादि ऐसी जातियां रहीं जिनमे चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रही.ऐसी ही जातियों के कोख से हिंदी पट्टी में पैदा हुए मायावती, रामविलास पासवान, लालू, मुलायम, नीतीश, चौधरी अजित सिंह …..इनकी सबसे बड़ी योग्यता जाति विशेष में जन्म लेना रहा.
जाति चेतना के राजनीतिकरण ने जहाँ माया-पासवान-लालू-मुलायम-नीतीश को कद्दावर बनाया,वहीँ इसी जाति चेतना ने सवर्णों को राजनीतिक रूप से लाचार बना दिया और वे विवश होकर इन बहुजन सुपर स्टार नेताओं की छत्रछाया में राजनीति करने के लिए विवश हुए.इसी जाति चेतना ने डॉ.उदित राज जैसे कई टैलेंटेड नेताओं को शत्रु खेमे में जाने के लिए विवश कर दिया.
जहा तक राम विलास पासवान का सवाल है,पढ़े-लिखे जहीन वीपी सिंह कांशीराम द्वारा बहुजनों में शासक बनने की महत्वाकांक्षा पैदा करने व जाति चेतना के असर की सत्योप्लब्धि करने में देर नहीं की.इस सत्योप्लब्धि के बाद उन्होंने दलितों का समर्थन जय करने के लिए राम विलास पासवान को दलित फेस बनाने का मन बनाया. वीपी सिंह द्वारा पासवान को आगे बढ़ाने का नतीजा यह हुआ कि देखते-देखते वह बहुजन भारत के वह नायक बन गए.लेकिन जेनुइन जननेता बनने के लिए देश- दुनिया का जो अध्ययन तथा मानवीय कमजोरियों से ऊपर उठने के लिए जिस त्याग जो जरुरत होती है,अपने समकालीन दूसरे बड़े नेताओं की भाँति पासवान वह गुण खुद में कभी विकसित नहीं कर पाए.
राजनीति को मिशन से प्रोफेशन बना चुके ऐसे कमजोर व्यक्ति को अपना वजूद बचाने के लिए मौसम विज्ञानी बनने तथा स्व-हित में बहुजन हित की बेशर्मी से अनदेखी करने का अतिरिक्त गुण विकसित करना जरुरी था,जो उन्होंने स्टार मार्क्स के साथ विकसित किया.बेसिकली नेतृत्व के गुणों से दरिद्र और परिस्थितियों की उपज रामविलास पासवान आज वजूद बचाने के लिए विकसित किये गए उन्ही अतिरिक्त गुणों के सहारे बचे रहने के लिए अभिशप्त हैं.इस कारण ही वे अक्सर ऐसा बयां देते हैं,जिससे शोषक जातियों को लाभ मिले.
( लेखक जाने माने बहुजन चिन्तक व लेखक है )