अंधविश्वास और टोने टोटके में यकीन रखने वाले प्रधानमंत्री मोदी की कल उस वक़्त हालत खस्ता हो गयी, जब कल नई दिल्ली में मुख्य रामलीला समारोह में “बुराई का अंत” करने के लिए ( रावण का पुतला दहन करने के लिए ) जैसे ही उन्होंने धनुष उठाया,अचानक वो धनुष टूट गया.
आयोजकों के अनुसार दशकों से चली आ रही इस रामलीला परम्परा में ऐसा तो पहली बार हुआ.तुरंत सारा सरकारी तंत्र हरकत में आ गया और सभी मीडिया को कसा गया कि यह खबर कहीं भी ना दिखाई जाए, फिर भी एक दो समाचार पत्रों में तो खबर आ ही गयी.
वैसे तो इन बातों का कोई मतलब नहीं, आजकल के वैज्ञानिक दौर में. लेकिन प्रधानमंत्री की बौखलाहट और खबर रोकने की मशक्कत देखकर यूं लगा, जैसे झूठ और फरेब से सत्ता में आये साहेब को हर घटना में अपने डूबने के संकेत दिखने लगा हैं.उन्हें पता है कि जो जनता उन्हें कोरी लफ़्फ़ाज़ी से सत्ता दे सकती है, वो इस दैवीय घटना को उनकी राजनीतिक पराजय का द्योतक भी मान सकती है।
खैर बुराई कभी बुराई पर नहीं जीती है , कल की रामलीला में यह जरुर साबित हो गया .
– गुरप्रीत सिंह