ईसाईयत में दलितों की जनसंख्या 70 फीसदी है और गैर दलितों की 30 फीसदी जनसंख्या है.भारत में 167 बिशप हैं जिनमे से दलित जाति के बिशप सिर्फ 20 हैं.
वेटिकन सिटी में जहाँ पोप रहते है वहा भारत से 6 कार्डिनल है,आप यहाँ जानकर हैरान रह जायेंगे की उनमे एक भी दलित कार्डिनल नहीं है,जबकि चर्चो में भी गैर दलितों का ही कब्ज़ा है,वहा पर भी जातीय व्यवस्था हावी हैं,वहा भी जाति देखकर शादी होती हैं, सेमेंट्री (श्मशान) में भी जातीय भेदभाव देखने को मिल जायेंगे.
जबकि जीसस क्राइस्ट अपने जीवन काल में सिर्फ तीन बार यहूदी मंदिर में गए और जीवन भर आम लोगों के बीच में रहे.अन्याय का उन्होंने प्रतिकार किया और न्याय के पक्ष में खड़े रहे, शांति व भाईचारा उनकी शिक्षाओं में हैं,लेकिन भारत के दलित ईसाईयों के साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव व छुआछुत होता है.
– हंसराज कबीर