जेल की सलाखें मेरे विचार नहीं बदल सकती – जोगराज सिंह
( राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के क्रांतिकारी युवा साथी जोगराज सिंह की बाबा साहब के मिशन में सक्रियता से परेशान लोगों ने साजिशन उन्हें फंसा कर जेल भेज दिया ,हाईकोर्ट से जमानत मिली ,शून्यकाल के सम्पादक ने जोगराज सिंह से उनके अनुभवों पर बातचीत की )
भंवर मेघवंशी – जोगराज जी आप अपने बचपन ,शिक्षा -दीक्षा और परिवार के बारे में बताये ?
जोगराज सिंह – मेरी प्राथमिक शिक्षा बाड़मेर जिले के निजी विद्यालय से हुई ,जहाँ से आठवीं कक्षा पास कर मैं अपने गाँव आ गया । अगली क्लास में प्रवेश राजकीय माध्यमिक विद्यालय, हरसाणी फांटा से मैने अपनी शिक्षा उतीर्ण की जहाँ पर मुझे सामंतवाद थोड़ा थोड़ा समझ में आना लगा क्यों कि मेरे नाम के पीछे सिंह लगाने से कई स्कूल के सामंत छात्रों को परेशानी होने लगी । जहाँ अपने गाँव से रोजाना मुझे स्कूल आने व जाने में 20 किलोमीटर का साईकल से सफर करना पड़ता था। लेकिन दसवीं के बाद मेरी शादी हो गई। उसके बाद पुनः मै शहर के हाई स्कूल में प्रवेश ले लिया। जहाँ पर कई नये साथी मिले थे। लेकिन इस दरम्यान मैं थोड़ा शरारती जरूर था। इस तरह मैने अपनी तालीम नर्सिंग व ग्रेजुशन किया।
भंवर मेघवंशी- बाबा साहेब के मिशन से कैसे जुड़े और क्या क्या किया ,किन किन संस्था , संगठनों अथवा पार्टी या दल से जुड़े ?
जोगराज सिंह – सर्वप्रथम जुल्म व शोषण के विरोध इंकलाबी आवाज बुलंद करने की मैने 2007 के दौरान शरूआत की थी । क्यों कि समाज कल्याण विभाग की अम्बेडकर छात्रावास तिलक नगर में कुछ छात्रों को वार्डन कमलेश छंगाणी के द्वारा छात्रावास से निकाल दिया गया था। इस मुद्दे को लेकर सर्वप्रथम मैं अपने दोस्तों के साथ रामुबाई विद्यालय के प्रधानाध्यापक मूलाराम जी से मिलने गया ,उन्होंने मुझे अध्यापक भोजाराम जी बौद्ध से मिलने के लिए बोला कि आप मेरा उनको परिचय दे देना वो आपकी पूरी मदद करेंगे. भोजाराम जी के मार्गदर्शन के अनुरूप हम लोग पहली बार समाज कल्याण विभाग के अधिकारी व जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर पुनः अपने दोस्तों को छात्रावास मे दाख़िला दिलवाया था। उन दोस्तो में एक ओमप्रकाश कोचरा व नरपत बृजवाल बोथिया ये दोनों दोस्त आज तक मेरे से जुड़े हुए है. उसके बाद से मैंने हमेशा मेरे आदर्श भोजाराम जी के साथ जुड़कर बाबा साहेब के मिशन व जातीय जुल्म व शोषण के विरोध अपनी आवाज को बुलंद की।
भंवर मेघवंशी – किस किस आंदोलन में जुड़े तथा कौन कौन से आंदोलनों का नेतृत्व किया ?
जोगराज सिंह -बाडमेर जिले के सीयाणी गाँव के पारसमल हत्याकांड को लेकर मैने भोजाराम जी के साथ आंदोलन के दौरान आदर्श स्टेडियम में पानी की टंकी पर मैने अपने साथी स्व . गोमाराम परिहार व ईश्वर नामा ने मेरे साथ आमरण अनशन तीन दिन के लिए किया था। यही से मैं अपने जेहन में समाज के प्रति साझा दुख महसूस करने लगा था। मैने दलित शोषण मुक्ति मंच में भी काम किया है। मेरे मन मे न्याय को लेकर कभी भी कोई संगठन नही देखा. हमेशा नीले झंडे के नीचे काम व सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ. मै बसपा को राजनैतिक रूप से सपोर्ट करता आ रहा हूँ. जिसे मैं आगे भी जारी रखूँगा. बाड़मेर जिले के तमाम आंदोलनों में मैं हमेशा सबके साथ खड़ा रहा हूँ.डांगावास, घेनड़ी , पोलाराम हत्याकांड, पारसमल हत्याकांड रोहित वेमुला, डेल्टा मेघवाल, ऊना आंदोलन ,जंतर मंतर दिल्ली, कस्तूरबा आवासीय विद्यालय, सोजत की छात्राओं के साथ छेड़छाड़ का मामला आदि आंदोलनों में शरीक हुआ हूं.
भंवर मेघवंशी -भीम आर्मी से कैसे जुड़े और जंतर मंतर कैसे पंहुचे ? वहां उस दिन क्या हुआ ?
जोगराज सिंह – भीम आर्मी के द्वारा सहारनपुर के आंदोलन के जुड़ने के लिए सोशल मीडिया के साथी नवाब सतपाल के साथ जुड़ा हुआ होने के कारण उनके द्वारा आंदोलन में उनकी आवाज के साथ हम लोग साथ मे ख़ड़े हो गए.
भंवर मेघवंशी – आप पर आरोप लगा है कि आपने एक धर्म विशेष के लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाई ,जिससे आपको मुकदमा और जेल भोगनी पड़ी ?
जोगराज सिंह -दिल्ली के जंतर मंतर पर लाखों लोग आकर सहारनपुर में दलितों के घर जलाने व मारपीट करने पर सरकार को घरने पर आंदोलनकारी अपने अपने तरीके से विरोध जता रहे थे। लेकिन जिस तरीके से विरोध जताया गया वैसा सा मीडिया के द्वारा नही बताया गया। क्योंकि मीडिया इस आंदोलन का दमन करने में सरकार का पूरा सहयोग कर रही थी ।लेकिन मेरे द्वारा जो आंदोलन को अपने साथियों को बताने के लिए वीडियो को फेसबुक पर अपलोड किया गया था। न कि किसी व्यक्तिगत व किसी भी महजब को कोई ठोस पहुचाने का कोई मेरा ऐसा उद्देश्य था। मुझे तमाम आंदोलन में आगे रहने के कारण स्थानीय प्रशासन की नजरों में होने के कारण कुछ संगठनो के कार्यकर्ताओं ने मेरे विरोध F. I. R दर्ज करा दी ,पुलिस ने मेरी गिरफ्तार करके बाड़मेर में हो रहे आंदोलन Justice for babulal meghwal को कुचलने के लिए जेल भेजने की साजिश रची ,ऐसा मुझे लगता है .
भंवर मेघवंशी – जेल का अनुभव कैसा रहा ? इससे आप पर क्या प्रभाव पड़ा ?
जोगराज सिंह – जेल में जाने से मेरे विचारों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है . जेल की कोई भी सलाखें मेरे विचार नही रोक सकती है। जैसे ही मेरी जमानत हुई तो मैं पुनः justice for babulal meghwal के धरने स्थल पर जाकर शामिल हो गया ,जेल मेरे विचारों को नही बदल सकता हैं । जेल जाना मेरे लिए और भी लोकतंत्र तरीके को समझने में अच्छा रहा है।
भंवर मेघवंशी – आगे की क्या रणनीति है ?
जोगराज सिंह -आगे भी समाज व लोकतंत्र पर जब भी कोई आंच आती है,तो हम इंकलाबी आवाज को बुलंद करेंगे व जुल्म तथा शोषण के विरोध में लड़ेंगे .
सँविधान जिंदाबाद .इंकलाबी आवाज जिंदाबाद।
लड़ेंगे-जीतेंगे.