बन्नालाल किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है !

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पूर्व जिला कलेक्टर सिरोही बन्नालाल किसी नाम का मोहताज नही है. बन्नालाल ने  जिला कलेक्टर सिरोही रहते हुए जिले के लोगो का दिल जीत लिया था। कई लोग ऐसे भी होते है जो पूरी जिंदगी भूखे भेडिए की तरह किसी भी तरह सिर्फ पैसे कमाने में रह जाते है उन्हें  पूछने वाला बाद में कोई नही होता लेकिन बन्नालाल जी ने जो प्रेम कमाया शायद सिरोही जिले में अभी तक ऐसा आईएएस अधिकारी आज तक नही आया। जिसने गरीब लोगो की मदद की और हर तरह से उनके लिए अपने योगदान को लेकर तत्पर रहने वाले बन्नालाल ने सिरोही के इतिहास में अपनी अलग गाथा लिख डाली.
ऐसा आईएएस जो जिले में कही भी जाता घर से लाया टिफिन साथ रखता, वाकई ऐसे बिरले देखने को ढूंढने से भी नही मिलते . बन्नालाल जी की प्रशासनिक कार्यशैली और कर्तव्य के प्रति अपनी पूर्ण निष्ठा को  सिरोही के इतिहास में अपने आप को स्वर्णाक्षरों में अंकित किया। मुझे याद है में छोटा था बुद्धि और सोचने की क्षमता इतनी विकसित नही थी। तब मैंने  सुना कि “नया कलेक्टर” आया है बन्नालाल” थोडा अजीबोगरीब है कही भी किसी भी समय टपक जाता है।
उस समय राजधानी नई दिल्ली में भ्र्ष्टाचार और लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे ने एक आंदोलन किया था ,सभी भारतीयो में भ्र्ष्टाचार के खिलाफ एक अलग ही मुहीम चली थी, मुझे याद है उस समय हमारे जिला कलेक्टर  बन्नालाल भी अपने जिले में अपनी धमाकेदार एंट्री दे रहे थे। सभी विभागों में खलबली मच गयी थी। उन दिनों सुबह अखबार में सिर्फ दो ही नाम देखने और पढ़ने को मिलते “अन्ना हजारे और बन्नालाल”। वाकई वह दौर उस समय के युवाओ के लिए उनकी जिंदगी के लिये ‘टर्निंग पॉइंट’ साबित हुआ होगा।
एक ऐसा कलेक्टर जो बिना  जानकारी दिए अपनी सामान्य स्थिति में बिना किसी तामझाम और सुरक्षा के दुर्गम जगहों पर भी पहुँच जाता  । भ्र्ष्टाचार के खिलाफ अधिकारियो को पाबन्द किया .संभवतः उस व्यक्ति ने कुछ नही कमाया सिवाय लोगो के प्यार के, जो और अधिकारी नही कर पाते है। उस व्यक्ति ने गरीब की दुआएँ ली जो शायद और अधिकारियो के हिस्से  में नही होती।
मैं  ना तो उनसे व्यक्तिगत परिचित हूँ और ना ही कभी व्यक्तिगत या किसी माध्यम से उनसे मुलाक़ात हुई . में उनकी अदा का कायल हूँ और उनकी कार्यकुशलता का दीवाना ,उनकी  सादगी का प्रशंसक हूँ।  अब बन्नालाल जी की सेनानिवृति हो चुकी है और वो भी बेदाग छवि के साथ .
ऐसे छवि के ईमानदार अधिकारी से जरूर समाज सीखेगा और उस छवि की परछाई बनने की कोशिस करेगा.
– बलवन्त मेघवाल, रेवदर

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