क्या लोग बुद्ध, फूले या बाबा साहब की किताबों से डरे हुए हैं !
(संजय श्रमण )यह दिवस पुस्तकों के लिए नहीं है ताकि वे विश्व को पा सकें, बल्कि विश्व के लिए है ताकि वह पुस्तकों को पा सके। जब ज्योतिबा फूले ने किताबों से दोस्ती की तो उनके भीतर ज्योति उमगने लगी, उनका दीपक जलने लगा था। जब बाबा साहब ने पहली!-->…