मैं 14 अप्रैल को भी बल्ब ही जलाऊंगा !
(Bhanwar Meghwanshi)
दीये जलाने का अभिप्राय अंधेरा भगाना है,जब उजाले के लिए और कुछ न था,तो लोग रोशनी के लिए दीपक जलाते थे,फिर लालटेन जलाने लगे,उसके बाद बिजली आ गई, बल्ब का आविष्कार हो गया,बड़ी बड़ी लाइट्स जलने लगी ,जिससे पूरे मोहल्ले!-->!-->!-->…