दे और दिल उनको, जो न दे मुझको ज़बाँ और !
-राजेश चौधरी, चित्तौड़गढ़हिन्दी पट्टी में दलित आत्मवृत्त-लेखन महाराष्ट्र की तुलना में देर से शुरू हुआ और अब भी संख्यात्मक दृष्टि से कम है। भँवर मेघवंशी का आत्मवृत्त पिछले दिनों प्रकाशित हुआ है, जो कि इस अभाव की एक हद तक पूर्ति करता है। इसे!-->…