समाजकार्य एंव अनुसंधान केंद्र और बेयरफुट कॉलेज, तिलोनिया के 50 वर्ष पूरे होने अवसर पर !
दिनांक 21 अप्रेल से 24 अप्रेल 2022 तक जवाहर कला केंद्र जयपुर में तिलोनिया बाजार, फोटो प्रदर्शनी, 50 साल के यात्रा की कहानी फड़ व संगीत के जरिए, चर्चा लोक कलाकारों का जमघट.
जयपुर. 21 अप्रैल से समाज कार्य एंव अनुसंधान केंद्र (SWRC)/ बेयरफुट कॉलेज, तिलोनिया अपनी स्वर्ण जयंती उत्सव, जयपुर के जवाहर कला केंद्र में मनाने जा रहा हैं| प्रदेश में SWRC/ बेएरफूट कॉलेज अपने तरीके की पहली संस्थाओं में से एक है, जो फरवरी 1972 में अजमेर के सीलोरा ब्लॉक के तिलोनिया गाँव से काम शुरू हुआ। कहानी शुरू होती है दिल्ली के सैंत स्टीवेंस कॉलेज के 28 वर्षीय, बंकर रोय ने पानी के स्त्रोतों की खोज में गाँव गाँव घूम रहे थे और उन्होंने तिलोनिया को अपना पचास साल में अनेक ऊचाइयाँ बेयर फुट कॉलेज ने हासिल किया। सोलर उर्जा में तिलोनिया की ग्रामीण महिलाओं ने विदेशी महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर एक मील का पत्थर गाडा हैं। संस्था द्वारा ग्रामीण स्त्री-पुरुषों के हस्त कौशल को भी निखारा है और आज तिलोनिया क्राफ्ट बाजार का नाम देश विदेशो में फ़ैल रहा हैं।
पानी का बचाव, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, बाल संसद, कम्यूनिकेशन्स, सैनिटेरी नैप्किन, पौधरोपन आदि की इस यात्रा के सारे यात्री सहभागी किसी डिग्री के मोहताज नहीं हैं इसलिए इसे बेयरफुट कॉलेज” का नाम भी दिया गया हैं।SWRC संस्था ने 1983 में पहला जन हित याचिका डाल कर इतिहास रचा जब अदालत से प्रार्थना की कि अकाल राहत काम में भी नियुन्तम मजदूरी लागू की जाये। राजस्थान सरकार जो नहीं माँ रही थी को उसे लागू करना पड़ा।
SWRC/बेयरफुट कॉलेज के वर्तमान विकास समन्वयक, राम करण ने कहा की 50 साल की संस्था की यात्रा में एक प्रभावी काम संस्था का था, राजस्थान सरकार की नीति कर निर्माण में एक प्रयोग स्थली के रूप मे उभरना। संस्था की महिलाओं की नेतृत्व प्रशिक्षण से 1984 में बना प्रदेश का महिला विकास कार्यक्रम (साथिन कार्यक्रम ), इस तरह बंद स्कूलों को पुन जीवित करने के लिए प्रदेश में बना शिक्षा कर्मी योजना का भी निर्माण संस्था के स्कूल को लेकर प्रयोग से हुआ। प्रदेश का बड़ा शिक्षा कार्यक्रम लोक जुंबिश की भी नींव इसी संस्थान के काम से पड़ी। महिला हैन्ड पम्प मिस्त्री भी पहली बार संस्था ने ही देश में शुरू की थी, जिसके बाद राजस्थान सरकार ने उसे प्रदेश भर में उतरा। उनका कहना था की पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक कौशल का साथ आना ही SWRC की विकास की अवधारणा है।
पानी और सोलर के प्रयोग से जुड़े लक्ष्मण सिंह जो पुराने कार्यकर्ताओं में से एक हैं का कहना था की सोलर मामा कार्यक्रम की ग्लोबल पहचान तिलोनिया ने दी। एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के अनेक विकास शील देशों को संस्था ने यह तकनीक और उससे गरीब वंचित को उजाला कैसे मिले, की ट्रैनिंग व ससधान उपलब्ध करवाए। करगिल और लद्दाख में भी हैन्ड पम्प SWRC संस्था ने लगाए थे। गाँव से ग्लोबल यात्रा संस्था ने केवल साधारण लोगों के कौशल से की।
कॉममुनिकशन्स के रामनिवास ने बताया की, तिलोनिया संस्था में जिस तरह के गीत, नाटक, कतपुतली आदि माध्यम से सम्प्रेषण और कला दोनों विकसित हुए हैं व सराहनीय है। शंकर सिंह, भंवर गोपाल, राम लाल, बोदुराम, हामिद आदि कलाकार ने यहाँ के विभाग की नींव डाली थी । पूरे विश्व में एक पहचान बनी है की कैसे सामाजिक काम में लोक कलाओं का इस्तमल किया जा सकता है I 40 साल पुराने कुछ गाने तो आज भी गाते है, जैसे बहना चेत सको तो चेत आदि। अब तो रेडियो तिलोनिया भी चलता है जिसका कंटेन्ट खुद औरतें बनाती हैं। शिक्षा का काम बहुत ही सराहनीय रहा है 1 लाख से ऊपर बच्चों को स्कूल भेजा, महिला साक्षरता में संस्था अग्रणी रही।
यहाँ तक की बाल संसद की परिकल्पना यहीं की गई और यह बच्चों ने अपने गाँव व समाज के विकास का सोच कम उम्र में ही अपनाया। शिक्षा निकेतन स्कूल जो संस्था में ही चलता है ने हर वर्ष अनेक गाँव के बच्चों को नवोदय विद्यालय के लिए प्रेरित किया और उन्होंने admission प्राप्त भी किया। व्यवसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से 12 राज्यों के रात्रिशाला के 430 अध्यापकों और 37500 बच्चों को लाभ पहुंचाया गया नौशीन, जो वर्तमान में हथेली संस्था (तिलोनिया) के हस्तशिल्प कार्य की designer हैं ने बताया की चमडे का काम, महिलाओं की हस्तकला, ब्लाक प्रिंटिंग व डिजायनिंग का कार्य 1974 से प्रारंभ हुआ। और पहला तिलोनिया बाजार 1975 में दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में प्रदर्शनी के रूप में प्रारंभ हुआ। यह दस्तकारी व हस्त कला की महत्वपूर्ण हस्तियों कमला देवी चट्टोपाध्याय, पुपुल जयकार, शोना रे आदि के उत्साह से संभव हो पाया। ग्रामीण हस्तकारों / कलाकारों की शिल्प कला व हुनर को पुनर्जीवित करना – तिलोनिया बाजार की कहानी है • राजस्थान के 5 जिलों के 48 गांव के 25000 हस्तकारों के साथ हथेली समिति कार्यरत है।
यह पूरे राज्य के दस्तकारों की आय में वृद्धि कर रही है।• ज्यादातर दस्तकार महिलायें है। इसमें राजस्थान में ग्रामीण महिलाओं के समाज आर्थिक स्तर को सुधारने में हथेली ने काफी मदद की है।• तिलोनिया बाजार की अवधारणा ने ग्रामीण हस्तशिल्प को शहरी भारत से जोड़ने का कार्य किया। यह अपने आप में पहली अवधारणा थी। बाजार ने ग्रामीण लोगों के विकास में दस्तकारी की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया। आजार बाजार या हॉट एक लोकप्रिय अवधारणा के रूप में उभरा है जिससे लाखों दस्तकारों को भारत भर में बाजार मिला है। 950 दस्तकारों को निशुल्क आंखो की जांच व चश्में का वितरण किया गया30 सालों में हथेली संस्थान ने लगभग 30 करोड़ से ज्यादा का सामान बेचा है इससे ग्रामीण दस्तकारों का सामान बिका है और उनकी मजदूरी में वृद्धि हुई है।
रामकरण, (विकास समन्वयक, SWRC), सरिता, (परामर्श दाता SWRC), नोशीन (डिज़ाइनर हथेली), लक्ष्मण सिंह, (उपयुक्त तकनीकी समन्वयक, SWRC), रामनिवास (समन्वयक कम्न्युकेशन, SWRC)
समाजकार्य एंव अनुसंधान केंद्र (SWRC) / बेयरफुट कॉलेज, तिलोनिया स्वर्ण जयंती उत्सव
दिनांक 21 अप्रेल से 24 अप्रेल 2022 तक जवाहर कला केंद्र जयपुर में तिलोनिया बाजार, फोटो प्रदर्शनी, 50 साल के यात्रा की कहानी फड़ के जरिए, चर्चा गीत आदि
विस्तृत कार्यक्रम दिनांक 21 अप्रैल से 24 अप्रेल 2022 स्थान : शिल्पग्रामतिलोनिया बाजार प्रात: 11 बजे से रात 9 बजे तक प्रदर्शनी व सेल
दिनांक 21 अप्रेल 2022 को प्रात 11 बजे उदघाटन SWRC की 50 साल की यात्रा की झलक फोटो प्रदर्शनी : फोटोग्राफर पाब्लो बार्थोलोम्युविशेष अतिथि : भरत सिंह विधायक एंव उषा शर्मा मुख्य सचिव राजस्थान
दिनांक 21 अप्रेल 2022 को शाम 6 बजे फेथ सिंह, ह्स्त कला विशेषज्ञ व अनोखी ब्रांड की पूर्व निदेशक तिलोनिया बाजार, हथेली के दस्तकारों को सम्मान करेंगी
दिनांक 22 अप्रेल 2022 को शाम 7 बजे मध्यवर्ती, जवाहर कला केंद्र SWRC की 50 साल के यात्रा की कहानी फड़ व संगीत द्वारा
मुख्य अतिथि – अशोक गहलोत, मुख्य मंत्री राजस्थान विशेष अतिथि : बी डी कल्ला, मंत्री, शिक्षा, कला, संस्कृति आदी, राजस्थान सरकार
दिनांक 23 अप्रेल 2022 को दोपहर 12 बजे स्थान : शिल्पग्राम सोलर मामा की विदेशी यात्रा पर चर्चा
दिनांक 24 अप्रेल 2022 को शाम 6.30 बजे से 8 बजे तक स्थान : शिल्पग्राम पद्मिश्री सम्मानित – लाखा खान मांगनियार की प्रस्तुति व मारवाड़ी ख्याल का एक दृश्य चक्री नृत्य, बपंग, लोकगीत संगत रावण हाथा इत्यादि