मन के भावों को काग़ज़ पर उतार देता हूँ – अनजाना
श्रीगंगानगर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं साहित्यकार टीकम ‘अनजाना’ ने कहा है कि व्यक्ति जब तक अपने अतीत को याद रखता है, वह अहंकार की चपेट में नहीं आता और समाज के हित की बात को ध्यान में रखकर व्यवहार करता है।
वे रविवार को यहां दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन के भवन में सृजन सेवा संस्थान की ओर से आयोजित मासिक कार्यक्रम ‘लेखक से मिलिए’ में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने जीवन की संघर्षगाथा का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे मजदूर पिता की मेहनत और अपने गुरुजनों के आशीर्वाद से उन्होंने पढ़ाई पूरी की और आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। ‘अनजाना’ ने कहा कि वे तो अपने मन के भावों को सहजता से कागज पर उतार देते हैं, वैसे वे निरंतर सीखने की प्रक्रिया में ही रहते हैं।
इस मौके पर अनजाना ने अपनी अनेक कविताओं से श्रोताओं को लाभान्वित किया। मौजूदा वातावरण को इंगित करते हुए उन्होंने कहा-आजादी आज मुश्किल में है, मुंह खोलने की, सच बोलने की, आजादी आज मुश्किल में है…। इसके अलावा उन्होंने मजदूर दिवस पर भी मजदूरों की दुर्दशा पर अपनी बात खुलकर कही-मजदूर के पांव में जो छाले हैं, वे हस्तिनापुर के हवाले हैं…।
विशिष्ट अतिथि दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मवीर डूडेजा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने भविष्य में भी कार्यक्रम करने और सहयोग का वादा किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपना घर आश्रम के सचिव जगीरचंद फरमा ने कहा कि साहित्यकार में मां सरस्वती का वास होता है। उसी के आशीर्वाद से वह लोगों की पीड़ा को अपनी कलम से कागज पर उतार देता है। आम आदमी उसे पढ़ कर सोचता है कि यह कहानी तो बिल्कुल वैसी ही है, जैसी उसके साथ बीती है।कार्यक्रम में सुरेंद्र सुंदरम्, मनीराम सेतिया, ऋतुसिंह, सुषमा गुप्ता एवं बालकृष्ण लावा आदि ने कुछ सवाल किए, जिनका टीकम अनजाना ने बड़ी सहजता से जवाब दिया।
कार्यक्रम में टीकम अन्जाना को सृजन साहित्य सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें डूडेजा व फरमा के साथ समाजसेवी विजयकुमार गोयल एवं नोजगे पब्लिक स्कूल के चेयरमैन पीएस सूदन ने शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक एवं साहित्य भेंट करके सम्मानित किया। इससे पहले सचिव कृष्णकुमार आशु ने अनजाना का परिचय दिया। संचालन डॉ. संदेश त्यागी ने किया।
कार्यक्रम में सृजन के अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ताइर, डॉ. नवज्योत भनोत, डॉ. आशाराम भार्गव, केसराराम दइया, द्वारकाप्रसाद नागपाल, राजू गोस्वामी, राजकुमार जैन, कर्नल पंकजसिंह, सुशील अरोड़ा, अरुण शर्मा, अरुण ख्वाहमख्वाह, विकास गुप्ता, लवीना वर्मा, बीएस चौहान, ललित चराया सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी मौजूद थे।
( कृष्णकुमार आशु, श्रीगंगानगर )