कोरोना से अधिक मैं अमिताभ बच्चन से परेशान हूँ !
यह वेदना है कैलाश जी की है जो केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फ़ोर्स में कार्यरत सहायक उपनिरीक्षक है. वे जीयो मोबाईल फोन सेवा सहायता केंद्र पर फोन करते हुए शिकायत करते हैं, जिसे एक महिला अटेंड करती है. पुलिस अफसर बोलता है-‘मेडम जी, जब भी मैं किसी को फोन मिलाता हूँ तो मुझे अमिताभ बच्चन की आवाज़ सुनाई देती है, जिसे मैं कतई नहीं सुनना चाहता. आप इसे तुरंत बंद करवाईये.’ महिला का ज़वाब है कि ‘यह भारत सरकार के आदेश से है, हम इसे बंद नहीं कर सकते.’ इस पर कैलाश कड़ा विरोध करते हुए कहता है कि ‘बिहार में चुनाव हो रहे हैं, वहाँ कोरोना गाईड लाइंस की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं. जिस भारत सरकार के आदेश का आप हवाला दिए जा रही है, वह बिहार में क्या कर रही है? मुझे किसी कुत्ते, बिल्ली, सूअर की आवाज़ सुनवा दो किंतु मैं इस मनहूस की आवाज़ नहीं सुनना चाहता. अरे, जो खुद कोरोना पॉजिटिव है, उसकी लुगाई, जिसका बेटा, बहू कोरोना पॉजिटिव हैं, वह मुझे कोरोना से क्या बचायेगा?’
वह आगे कहता है कि ‘ये बोलीवुड वाले नशेड़ी, गंजेड़ी, शराबी, कवाबी, इनकी बात हम क्यों माने? ये नाचने-गाने वाला अमिताभ जैसे मुझे क्या सलाह देगा! मुझे इसकी आवाज़ नहीं सुननी. वह सदी का महानायक होगा तुम्हारे लिए. मैं उसे कोई महानायक-वायक नहीं मानता. मेरे लिए महानायक कलाम साहब है, भगतसिंह हैं.
भयंकर गुस्सा होकर वह आगे कहता है ‘मैं कोई चोर-उचक्का नहीं हूँ, देश का जिम्मेदार नागरिक बोल रहा हूँ, मेरे सारे डिटेल्स आपके पास हैं. मेरी शिकायत जहाँ भी पहुंचानी है, पहुंचाइये, लेकिन इस अमिताभ की आवाज़ को तत्काल प्रभाव से बंद कीजिये. अमिताभ बच्चन कितना ही महान फ़िल्मी अभिनेता हो, वह चाहे जितना बड़ा आदमी हो, चाहे जितनी उसकी राजनैतिक पहुँच हो, उसकी पुत्र-वधू विश्व सुंदरी ही क्यों न रही हो, वह शताब्दी का ‘महानायक’ ही क्यों न घोषित कर दिया हो, मैं उनके कवि-पिता हरिवंशराय बच्चन जी का चाहे जितना सम्मान करूँ, इसके बावजूद मैं अमिताभ बच्चन से परेशान हूँ.
मेरे मन की बात है कि मैं अमिताभ बच्चन को उनके 75 वें जन्मदिवस पर खूब-खूब बधाई दूं और इस बात से भी मुझे कोई एतराज़ नहीं है कि वे उनकी पोती आराध्या के जन्म के बाद फर्स्टक्राई डॉट कॉम का समर्थन करें अथवा कल्याण ज्वेलर्स, डाबर, इमामी, पार्कर पेन, आईसीआईसीआई बैंक, मैगी, लक्स इनर वियर, नवरत्न तेल, कैडबरी वगैरा-वगैरा की बिक्री को बढ़ावा दें, लेकिन मैं उन्हें ये सारी रियायतें देने के बावजूद परेशान हूँ. इसकी वज़ह यह है कि एक तो समूची दुनिया के साथ मैं भी कोरोना से दुखी हूँ. मैं इसे भूलना चाहता हूँ, वैसे ही जैसे कि भारत के अनेक आदिवासी अंचलों के लोग भूले हुए हैं, केवल इसलिए कि वे अखबार नहीं पढ़ते और टी.वी. नहीं देखते. वहाँ इंटरनेट नहीं है, इसलिए सोशल मीडिया पर नहीं जाते.
मैं यह नहीं कहता कि वहाँ कोरोना नहीं होगा, लेकिन वहाँ कोरोना का इतना भय नहीं है जितना दिखाया जा रहा है. कोरोना से भयावह उसका भय है! जिस भारत सरकार का जिक्र ‘जीयो महिला’ ने दिया और उसका जो ज़वाब
अर्द्धसैनिक बल के उस अफसर ने दिया उस ज़वाब से मैं सौ फीसदी सहमत हूँ. मैं भी अमिताभ बच्चन की कोरोना-कर्णकटु बकवास से परेशान हूँ. और शायद आप भी ऐसा ही सोचते होंगे!केन्द्रीय सुरक्षा बल के ए.एस.आई. कैलाश जी को मेरा सलाम!
( हरिराम मीणा की वाल से )