बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण दिवस ऑनलाइन विचार संगोष्ठी का आयोजन
साहित्य चेतना मंच के तत्वावधान में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस की स्मृति में (गूगल मीट) पर ऑनलाइन विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय : 21 वीं सदी और बाबा साहब।
इस वर्चुअल कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली से दलित साहित्यकार, प्राध्यापक एवं मूर्तिकार हीरालाल राजस्थानी ने की। मुख्य वक्ता दिल्ली विश्ववद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. पूनम तुषामड़ ने कहा कि बाबा साहब केवल दलितों के मसीहा नहीं थे ,बल्कि वह सभी के थे, बाबा साहेब ने हिंदू कोड बिल लाकर के स्त्रियों को सम्मानजनक जीवन दिया है।
विशिष्ट वक्ता मथुरा के दलित चिंतक सज्जन क्रांति ने बाबा साहब के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कवि दीपक मेवाती ने बाबा साहेब की जीवनी को कविता के रूप में प्रस्तुत करके सभी को प्रभावित किया। संस्था के संस्थापक धर्मपाल सिंह चंचल ने भीम चालीसा प्रस्तुत करके बाबा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
अपने अध्यक्षीय भाषण में हीरालाल राजस्थानी ने कहा कि अनुशासन ही बाबा साहब को अंबेडकर बनाता है और साथ ही कहा कि हमें बाबा साहब के सिद्धांतों पर चलते हुए समतामूलक समाज की स्थापना करने में अपना योगदान देना चाहिए।
अंत में सभी का धन्यवाद संस्था के अध्यक्ष नरेंद्र वाल्मीकि ने किया और इस कार्यक्रम का सफल संचालन बीकानेर के कवि श्याम निर्मोही ने किया। इसके साथ ही कार्यक्रम में बहुत से विद्वान साथी जुड़े रहें और अपने विचारों से अवगत करवाते रहें जिसमें ज्योति पासवान, राज वाल्मीकि, रमन टाकिया, अलंकृति घारू, प्रियंका हंस, पूनमचंद कंडारा, अनिल बिड़लन, राजकुमार बोहत, शैयरी चौधरी आदि ।