‘गाथा बंदिनी’ में बयां हुई क़ैदी औरतों की व्यथा-कथा !
मॉब लिंचिंग से लेकर हिंदू कोड बिल तक की चर्चा
विकल्प नाट्य संगठन के संरक्षक श्री ईशमधु तलवार की पूज्य माताजी- रचनाधर्मीं और समाजसेवी दिवंगत श्रीमति शकुंतला देवी तलवार की पुण्य स्मृति में 19 अगस्त’ 2019 सोमवार, शाम 7 बजे, नाटक ‘गाथा बंदिनी’ का तीसरा भव्य मंचन, जयपुर के रवींद्र मंच, मुख्य सभागार पर हुआ ।
क्यों कोई स्त्री कर डालती है किसी की हत्या और पहुंच जाती है जेलखाने में? क्या होता है जेलखाने के अंदर रहने वाली औरतों का हाल? कैसे जेल का स्टाफ हो जाता है बंदी महिलाओं के प्रति संवेदनशील? कैसे सामने आती हैं जेल में बंद महिलाओं की दास्तान? ऐसे ही सवालों का जवाब है कवि-कथाकार-नाटककार प्रेमचंद गांधी का लिखा नाटक ‘गाथा बंदिनी’, जिसे कल शाम रवींद्र मंच पर विकल्प नाट्य संगठन के कलाकारों ने उन्हीं के निर्देशन में मंचित किया। समाजसेवी एव रचनाधर्मी स्व शकुंतला देवी की स्मृति में आयोजित नाट्य संध्या में इस नाटक के माध्यम से महिला शोषण के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत किया गया।
नाटक मुख्यत: ऐसी चार महिला क़ैदियों की कहानियों का कोलाज है, जिन्हें हालात ने हत्यारी बनाकर जेल पहुंचा दिया। एक युवती है सोमा, जो अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते राजनीति के दलालों के बीच पहुंच जाती है और एक सेठ की हत्या कर डालती है। दूसरी महिला है चण्डी, जिसकी मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या हो जाती है, तो वह दुष्कर्मी के लिए सच में ही चण्डी का रूप धारण कर दुष्कर्मी की जान ले लेती है।
एक लड़की है गीता, जिसे उसके पिता राजनैतिक कैरियर की चाह में एक ढोंगी बाबा के आश्रम में पहुंचा देते हैं। बाबा जब गीता के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश करता है तो वह बाबा को ही ठिकाने लगा देती है। एक ओर किरदार के रूप में गांव की एक सीधी-सादी महिला है शनीचरी माई, जिसके रूप और खेत-खलिहान पर दुष्ट मुखिया की निगाहें लगी रहती हैं। जब मुखिया उसका सब कुछ उजाड़कर उसे डायन बना देता है तो शनीचरी मुखिया का ही काल बन जाती है। इन किरदारों के साथ जेल में चलने वाली अन्य गतिविधियों और महिलाओं के शोषण से जुड़े अनेक प्रसंगों को जेलकर्मी स्टाफ और जेलर के संवादों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
मुख्य कलाकारों में डा. कविता माथुर ने जेलर, मीनू गोयनका, सृष्टि गांधी और अंजलि यादव ने जेलकर्मी की भूमिका निभाई। वहीं सोमा के रूप में नंदिनी पंजवानी, शनीचरी के किरदार में सरस्वती, गीता के रूप में शिखा पारीक और चण्डी की भूमिका में सुनीता चौधरी ने सशक्त अभिनय किया। बाबा के रूप में मोहन लाल गोयल, चण्डी की बेटी की भूमिका में अभिलाषा गांधी, मुखिया के रूप में विजय स्वामी, सोमा के पिता एवं पटवारी की भूमिका में मनोज अडवाणी तथा शनीचरी के पति की भूमिका में जेपी चोपड़ा ने अभिनय किया।
नाटक में सेट डिजाइनिंग विवेक माथुर, प्रकाश व्यवस्था राजेंद्र शर्मा ‘राजू’, मंच सज्जा गोपाल शर्मा, ध्वनि-संगीत व्यवस्था प्रवीण की रही और रूप-सज्जा असलम खान की थी। इस नाट्य संध्या की अध्यक्षता लॉयन्स क्लब जयपुर मेट्रो के सचिव लॉयन मनोज रूवाटिया जैन ने की, वहीं क्लब के अध्यक्ष जी.एल. जैन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर शकुंतला देवी तलवार के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
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