हिन्दू कालेज में जोशी का उद्बोधन
दिल्ली। युवाओं को अपने भीतर लक्ष्य तय करने का हौंसला और साहस उत्पन्न करना चाहिए। अपनी प्रकृति और रुचि के अनुकूल लक्ष्य तय कर न केवल अपने कैरियर बल्कि देश व समाज के लिए भी हम सार्थक कार्य कर सकते हैं।
जाने माने हिंदी कथाकार और सेना में कर्नल रहे मुकुल जोशी ने हिन्दू कालेज के राष्ट्रीय कैडेट कोर के विद्यार्थियों को अपने उद्बोधन में कहा कि पाश की पंक्तियां सदैव प्रेरक बनी रहेंगी जिनमें वे कहते हैं कि सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना। जोशी ने कहा कि युवाओं को देश और समाज के लिए स्वप्नदृष्टा होना होगा। हम बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध हों।
जोशी हिन्दू कालेज के इब्तिदा लॉन में राष्ट्रीय केडेट कोर के विद्यार्थियों को अपने सैन्य जीवन के अनुभव भी सुनाए। इससे पहले उनका स्वागत करने हुए राष्ट्रीय केडेट कोर के अधिकारी सब ले डॉ हरींद्र कुमार ने हिन्दू कालेज में एन सी सी की गतिविधियों और उपलब्धियों की चर्चा की। डॉ कुमार ने बताया कि कर्नल जोशी में सेना और साहित्य का दुर्लभ संगम देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि युद्ध का मोर्चा और साहित्य के संसार में एक साथ जोशी जी ने सार्थक योगदान किया है।
आयोजन में हिंदी विभाग के अध्यापक डॉ पल्लव ने कहा कि सैन्य जीवन के प्रामाणिक अनुभवों के जीवंत चित्रण के लिए जोशी की कहानियों को जाना जाता है। डॉ पल्लव ने उनके कहानी संग्रह ‘ मैं यहां कुशल से हूं’ की चर्चा करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध और सीमा के कठिन सैन्य जीवन के दुर्लभ चित्र इस संग्रह में आए हैं। उन्होंने कहा कि जोशी जी की कहानियों में पहाड़ के जीवन की विसंगतियों के मार्मिक अनुभव उन्हें स्तरीय कथाकार बनाते हैं। चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल के प्रधानाचार्य के रूप में किये गए जोशी जी के कार्यों को भी डॉ पल्लव ने रेखांकित किया। अंत में कालेज के सीनियर कैडेट आयुष सैनी ने आभार प्रदर्शित किया।
(फोटो एवं समाचार – डॉ हरींद्र कुमार )