(सूरतगढ़ 10 जून 2019)
सूरतगढ़ के स्थानीय अग्रसेन भवन में पहला राजस्थानी दलित साहित्य सम्मेलन आयोजित हुआ ।
बोधि फाउंडेशन द्वारा निब्बाण प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन मे प्रदेश भर से साहित्य प्रेमियो ने शिरकत की I
तीन सत्रो में आयोजित इस सम्मेलन में दलित साहित्य, विभिन्न भारतीय भाषाओं में दलित सहित्य एवं राजस्थानी साहित्य में विमर्शों के स्थान विशेषकर दलित साहित्य पर गम्भीर विचार मंथन हुआ ।
कार्यक्रम की शुरुआत राजेन्द्र ‘निब्बाण’ के नेतृत्व में बुद्ध वंदना, त्रिशरण, पंचशील से हुई । बोधि फ़ाउन्डेशन के ही डॉ. निरंजन मेहरा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया । पहले सत्र में युवा कहानीकार राजू सारसर राज के कहानी संग्रह ‘जूती’ का विमोचन किचा गया । इस सत्र की अध्यक्षता रामस्वरूप किसान नें की । वहीं मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ. मदन गोपाल लढ़ा ने कहानी संग्रह पर समग्र चर्चा की ।
राजू सारसर नें ‘एक कवि रो कहणीकार हुवणो’ विषय पर अपने विचार प्रकट किये । कार्यक्रम का संयोजन फतेहपुर से आये कवि भंवरलाल महरिया ‘भंवरो’ नें किया । इसी सत्र मे चेतनराज नायक और बजरंग राठी ने गायन प्रस्तुतियां दी ।
दूसरे सत्र ‘दलित: राजस्थानी साहित्य और राजस्थानी समाज’ की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय से पधारे प्रो. डॉ. जगदीश गिरी ने की । मुख्य अतिथि डॉ. सत्यनारायण एवं ‘राजस्थानी दलित साहित्य की संभावना’ विषय पर साहित्यकार शिव बोधि ने पत्रवाचन किया । इस सत्र का संचालन कुमार श्याम ने किया । इसी सत्र मे युवा कवि लालचंद मानव , अनिल अबूझ, डॉ. विजय पटीर , रघुवीर ढाल ने अपनी कविताओ का पाठ किया ।
तीसरे सत्र की अध्यक्षता डा. भरत ओळा ने की । मुख्य अतिथि साहित्यकार मनोज कुमार स्वामी रहे । सत्र का संचालन कवि विनोद स्वामी ने किया । बीएल पारस ने ‘आत्मकथा लेखन रै बिन्या प्रमाणिकता कोनी’ और संज्या बौध ने ‘जात सूं आमणों सामणों’ विषयों पर अपने विचार रखे । इस सत्र में युवा कवि किशाेरकुमार निर्वाण , कपिलदेव आर्य , पवन अनाम , अनिल बाल्याण , इजहार गंगानगरी व रामस्वरूप किसान ने अपना कविता पाठ किया । कार्यक्रम में साहित्यकार ममता सम्बोधि एवं सुभाष पाटोदिया, प्रह्लाद राय पारीक, पन्नालाल मेव, रोहिताश नायक, शोभाराम नायक, सुभाष सोढा, नागसेन बौद्ध आदि गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे ।
राजेन्द्र निब्बाण ने समापन उदबोधन में सभी आगन्तुक साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया । राजस्थानी दलित साहित्य पर आयोजित इस प्रथम सम्मेलन में सभी वक्ताओ नें राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे को पुरजोर ढ़ग सें उठाया ।
सचिव बीएल पारस ने बताया कि बोधि फ़ाउन्डेशन अपनी ‘भगवानलाल मेहरा पाण्डुलिपि प्रकाशन योजना’ के अंतर्गत ‘दलित, आदिवासी, महिला और यथार्थपरक विषयों पर प्रतिवर्ष रचनाएँ आमन्त्रित करता है,उसी के अंतर्गत इस वर्ष कहानी संग्रह ‘जूती’ का प्रकाशन किया गया है । फाउडेशन राजस्थानी भाषा , साहित्य व अम्बेडकरी साहित्य के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है।