अयोध्या फैसला:सुप्रीम कोर्ट आदेश के मुख्य अंश
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले पर फैसले के मुख्य अंश :
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामलला विराजमान को दिया गया मालिकाना हक. सुप्रीम कोर्ट ने माना – देवता एक कानूनी व्यक्ति हैं.
- SC ने कहा – पांचों जजों की सहमति से फैसला – 2.77 एकड़ ज़मीन हिन्दुओं के पक्ष में. केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर मदिर के लिए ट्रस्ट बनाएगी, ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा का प्रतिनिधि भी रहेगा
- SC ने कहा – केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में ही मस्जिद के लिए सूटेबल और प्रॉमिनेंट जगह ज़मीन दे
- SC ने कहा – विवादित ढांचे की ज़मीन हिन्दुओं की दी जाए
- CJI ने कहा – फिलहाल अधिग्रहीत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा. सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ ज़मीन मिलेगी
- CJI ने कहा – मुस्लिम पक्ष सिद्ध नहीं कर पाया कि उनके पास ज़मीन का मालिकाना हक था
- SC ने कहा – केंद्र सरकार तीन महीने में योजना तैयार करेगी. योजना में बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का गठन किया जाएगा
- CJI ने कहा – 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिन्दुओं पर कोई रोक नहीं थी. 1856-57 के संघर्ष ने शांतिपूर्ण पूजा की अनुमति देने के लिए एक रेलिंग की स्थापना की
- CJI ने कहा – सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जमीन पर मालिकाना हक मांगा है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्वक कब्जा दिखाना असंभव है. सुन्नी बोर्ड का कहना है कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से ढहाए जाने तक नमाज़ पढ़ी जाती थी. बाहरी प्रांगण में हिन्दुओं द्वारा पूजा का एक सुसंगत पैटर्न था. दोनों धर्मों द्वारा शांतिपूर्ण पूजा सुनिश्चित करने के लिए एक रेलिंग की स्थापना की गई
- चीफ जस्टिस ने कहा – सूट 5 इतिहास के आधार पर है, जिसमें यात्रा का विवरण है. ‘सीता रसोई’ और ‘सिंह द्वार’ का जिक्र किया गया है
- CJI ने कहा – सबूत पेश किए गए कि हिन्दू बाहरी अहाते में पूजा किया करते थे
- CJI ने कहा – ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली ज़मीन पर मस्जिद नहीं बनाई गई थी
- CJI ने कहा, मुस्लिम गवाहों ने भी माना, दोनों पक्ष पूजा करते थे
- CJI ने कहा, ASI ने अपनी रिपोर्ट में यह नहीं बताया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी
- चीफ जस्टिस ने कहा, ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था
(फोटो क्रेडिट-इन्टरनेट)