गोपालन विभाग के पूर्व निदेशक एवं जाने माने बहुजन चिन्तक ,लेखक और वक्ता डा एम एल परिहार की माताजी का 86 वर्ष की उम्र पर स्वस्थ अवस्था में आकस्मिक देहांत हो गया । उनका दाह संस्कार मिट्टी द्वारा उनके पैतृक गांव करणवा तह.देसूरी जिला पाली में बिना किसी कर्मकांडों द्वारा किया गया। 14 मई को गांव में ही परित्राण शांति पाठ का आयोजन किया गया जिसमें परिजनों, मित्रों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निर्वाणप्राप्त माताजी को श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर माताजी की स्मृति में डा एम एल परिहार के परिवार ने अपने पैतृक बड़े आवासीय मकान को समाज उपयोग व ध्यान शांति केंद्र के लिए गांव वालों को समर्पित किया।सैकडों महिला पुरुष जुलूस के रूप में आवासीय भवन पहुंचे और डा परिहार की बड़ी बहन श्रीमती दाखाबाई के द्वारा यह पुनीत कार्य सम्पन्न किया गया।
शांति पाठ में सभी आगंतुकों ने बुद्ध वंदना, त्रिशरण का पाठ किया। डा एच आर गोयल ,डा एम एल विक्रम , बुद्धराज पंवार,लखमाराम परमार व अन्य ने बुद्ध की शिक्षाओं पर चर्चा की। इस अवसर पर कबीर वाणी के भजनों द्वारा जीवन की अनित्यता व सदाचार पर प्रकाश डाला गया जिसमें पंचशीलों का पालन करते हुए मन,वाणी और शरीर से कुशल कर्म कर सदाचार के मार्ग पर चलने पर जोर दिया। पंडाल में पंचशील के ध्वजों से पूरा माहौल बुद्धमय था।इसके अलावा डा एम एल परिहार ने बुद्ध, कबीर व बाबासाहेब की विचारधारा व सुखमय जीवन में धम्म के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की एक खास बात यह भी रही कि समाज में कई वर्षों से चली आ रही जातीय गुटबाजी खत्म हो गई जिसके कारण सभी क्षेत्र के लोग एक ही दिन बैठक में शामिल हुए । किसी परिवार में मौत के अवसर पर समाज सुधार की इस पहल को सभी ने सराहा तथा सभी ने इस बात की हामी भरी कि सामाजिक कुरीतियों के खात्मा कर समाज की खुशहाली के लिए सभी को आगे आना चाहिए।सभी ने मृत्युभोज नहीं करने तथा इसमें सिर्फ नजदीकी रिश्तेदारों को ही शामिल होने पर सहमति जताई।
कार्यक्रम में आगंतुकों को व आस पास गांवों में बाबासाहेब की महान रचना “बुद्ध और उनका धम्म” की एक हजार प्रतियां धम्म दान के रूप में भेंट की गई।
( लेखक दीक्षा दर्पण के सम्पादक है )