एससी एसटी एक्ट के विरोध में आज जयपुर में आयोजित श्री राजपूत करणी सेना की रैली टाँय टाँय फुस्स हो गयी है। हजारों लोगों के लिए लगाई गई कुर्सियों पर चन्द लोग बैठे नजर आये ।
इस रैली के आयोजक लोकेन्द्र कालवी निरन्तर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम को लेकर विष वमन कर रहे हैं,आज की रैली में भी यह प्रमुख मुद्दा था,लेकिन आज की महाविफल रैली का संदेश साफ है कि इन राजपूत नेताओं के मुकाबले आम राजपूत ज्यादा समझदारी दिखा रहा है ।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक 2 बजे तक भी सभास्थल पर 500 लोग ही नहीं जुटे, फिर भी हुंकार भरी गई, राजनीतिक ललकार भी हुई और रैली में भीड़ के नहीं जुटने का सारा ठीकरा करवा चौथ के माथे फोड़ा गया।
जातिगत सेनाओं से हर समुदाय का इसी तरह मोहभंग होना जरूरी है,आज की रैली की विफलता ने यह स्पष्ट कर दिया कि एससी एसटी एक्ट के नाम पर राजपूतों को बरगलाने की कोशिश नाकामयाब हो गयी है।
वैसे भी पढ़े लिखे समझदार राजपूतों को तथ्यों का अध्ययन जरूर करना चाहिए कि एट्रोसिटी के दर्ज मामलों में राजपूत आरोपी कुल कितने परसेंट होते है,क्या राज्य में सर्वाधिक केस उन पर दर्ज होते है ?
अगर इसका जवाब हां में है तो उन्हें अपने समुदाय के भीतर लोकतंत्र व संविधान की समझ को गहरा करना होगा और वंचित वर्गों के प्रति अपने नज़रिये को संवेदनशील बनाते हुए सुधारना होगा। पश्चिमी राजस्थान के पाली,जालोर,सिरोही,बाड़मेर,जैसलमेर तथा जोधपुर जैसे जिलो में इसकी सर्वाधिक जरूरत होगी ।
अगर जवाब हां में नहीं हो कर ना में हैं तो फिर वे उधार की लड़ाई लड़ रहे है,तथ्यों पर भरोसा कीजिये,कही सुनी बातों पर नहीं ।
जातिवादी सेनाओं को नाकामयाब करने का रास्ता चुनकर आम राजपूत समाज ने ठीक शुरुआत की है।
-भंवर मेघवंशी
( संपादक – शून्यकाल )