पूना पैक्ट की दुबर्ल संतानें !
(भंवर मेघवंशी)
स्थापित दलों में ज्यादातर रिजर्व सीटों पर टिकट पाने में फिर से पूना पैक्ट की दुर्बल संताने ही कामयाब हो गई लगती है,सबसे पहले हम दलितों आदिवासियों को खैरख्वाह बनने का दम्भ भर रही कांग्रेस की प्रत्याशी सूचि पर नजर डालें तो यह साफ परिलक्षित होता है कि दलित आदिवासी समाज के मुद्दों को मुखरता से उठाने वाले युवाओं को पूरी तरह से नकार दिया गया है, सेकुलरिज्म के झंडाबरदार इस दल ने एक भी मूवमेंट के युवा को मौका देना उचित नहीं समझा है।
कांग्रेस में काम कर रहे दलित आदिवासी समुदाय के कईं युवा साथियों को यह उम्मीद रही कि उनके अपने समुदाय से जुड़ाव, संघर्षकारी छवि तथा 2 अप्रेल के दलित आदिवासी आंदोलन में भागीदारी को पार्टी द्वारा नोटिस किया जाएगा,पर अब तक जो लिस्ट आयी है,उसमें तो ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया है,वहीं स्थापित चेहरे,वही परम्परागत राजनीति।
कुल मिलाकर कांग्रेस ने अपनी प्राचीन आदत के मुताबिक पूना पैक्ट की दुर्बल संतानों पर ही फिर से भरोसा जताया है ।
दलित आदिवासी आंदोलन के चेहरों को पूरी तरह से नकार कर कांग्रेस ने साफ मैसेज दे दिया है,अब इन वर्गों की ओर से कांग्रेस को मैसेज मिलने वाला है I
(फोटो क्रेडिट- इन्टरनेट)