वो “जुनैद” नहीं “राहुल” था !
वह जुनैद नहीं था ,राहुल था ,फिर भी कोई मदद को आगे नहीं आया.जब भरी हुई ट्रेन मे “जुनैद” जैसे मासूम को मार दिया. तो आप चुप थे, सब लोग उस डब्बे में यही साेच रहे थे कि चलो मुस्लिम मारा गया.
लेकिन अन्याय सीमा फिर कुछ सरकारी दरिंदो ने लांघ दिया. अब जिसके साथ हुआ वो जुनैद नही बल्कि “राहुल सिंह” था. राहुल 22 साल का इंजीनियर था और बिहार के कैमूर मे रहता था. दिल्ली में एक निजी कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर था. उसके पिताजी जी की 8 महीने पहले सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी. 6 महीने पहले बहन की भी मृत्यु हो गयी थी.
अभी उसकी शादी काे 1 साल भी नही हुआ था कि तीन दिन पहले रेलवे पुलिस,TC और दो महिलाओं पुलिस कर्मी ने उसे चंबल एक्सप्रेस ट्रेन से नीचे फेक दिया और उसकी मौत हो गयी.
राहुल की गलती यही थी कि उसने अवैध वसूली का मोबाइल से वीडियो बना लिया था. उन पाँच पुलिस वालों का और सवाल भी किया था कि आपकी वर्दी कहाँ है? आप कौन लोग है?
इससे भड़के RPF और TC महिला पुलिस कर्मी ने उसे सबके सामने पीटा. उसे जूते साफ करवाया, फिर थूक चटवाया और फिर वो कंप्लेन न कर दे उसके लिये उसे चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया.
कुछ इस तरह सरकारी नौकर दरिंदे हो गए है. मैं स्तब्ध हूँ सुनकर कि उस ट्रैन के लोग क्या कर रहे थे? सबने कैसे इतना अन्याय होने दिया? सोच के परेशान हूँ कि उस बूढ़ी माँ का क्या होगा ,जिसका “एकलौता” सहारा था “राहुल सिंह” ? क्या बीतेगी उसकी पत्नी पर जो 4 माह की गर्भवती है, उन दरिंदो का जरा भी दिल नही पसीजा एक 22 साल के लड़के पर अन्याय करते?
बाकी इस बेशर्म सिस्टम पर तो सवाल उठाना ही बेकार है. इस सरकार पर सवाल उठाऊंगी तो सरकार ने जो 20 हजारी गुंडे महामूर्ख भक्त पाल रखे है. आपको देशद्रोही साबित करने के लिए गालीबाज गुंडे बेशर्म नीच.
आखिर कोई बताइये की इस सड़े हुए सिस्टम के लिए जिम्मेदार कौन है? किस पर सवाल उठाये?अगर इस ट्रैन में सरकारी लुटरों पर लगाम लगी रहती तो आज “राहुल सिंह” जिंदा होता।